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संथालों के लुगुबुरु पहाड़ पर पॉवर प्रोजेक्ट के खिलाफ़ झारखंड सरकार का पत्र

दामोदर वैली कॉरपोरेशन (Damodar Valley Corporation) ने काफी समय पहले सरकार के सामने एक प्रस्ताव रखा था. इस प्रस्ताव में बोकारो जिले के लुगुबुरू पहाड़ में 1500 मेगावाट का हाइडल पावर प्लांट स्थापित करने की बात कही गई थी. बताया गया था कि यह प्लांट पंप स्टोरेज परियोजना पर आधारित होगा.

उस समय आदिवासियों ने इस प्रोजेक्ट के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया था. ज़मीन का सर्वे करने पहुंचे अधिकारियों को अपना काम किए बिना ही वापस लौटना पड़ा था.

उस समय झारखंड सरकार ने भी इस परियोजना का विरोध किया था. 23वें अंतरराष्ट्रीय संथाल सरना धर्म महासम्मेलन को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन ने कहा था कि जब तक वह राज्य के मुख्यमंत्री हैं, लुगुबुरू पहाड़ पर जल विद्युत परियोजना की अनुमति नहीं दी जाएगी.

मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का भी इस मामले में वही रुख है.

झारखंड सरकार ने बुधवार को केंद्र को पत्र लिखकर इस प्रस्तावित निर्माण को निलंबित करने की मांग की. राज्य के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने मंत्रीमंडल के साथ एक बैठक की जिसमें यह फैसला लिया गया.

झारखंड कैबिनेट सचिव वंदना दादेल ने कहा कि यह स्थान संथाल जनजाति द्वारा धार्मिक स्थल के रूप में पूजा जाता है और हर साल यहां सरना धर्म महासम्मेलन का आयोजन होता है. कैबिनेट ने भारत सरकार से यह अपील करने का निर्णय लिया है कि इस निर्माण कार्य को अभी के लिए स्थगित कर दिया जाए.

लुगुबुरू पहाड़ और संथाल जनजाति

लूगुबरु घंटबाड़ी नामक यह जगह टीटीपीएस ललपनिया के पास स्थित संथालियों का एक आदिवासी गांव है. यह गोमिया ब्लॉक से करीब 16 किलोमीटर दूर स्थित है. संताल समुदाय इस स्थान को अपना गौरव मानता है.

संथालियों की मान्यता है कि हजारों वर्ष पूर्व उनके पूर्वजों ने लुगू पहाड़ की तलहटी में संविधान एवं संस्कृति का निर्माण किया था. जिसमें उनका मार्गदर्शन लुगू बाबा यानि स्वयं भगवान शिव ने किया था. बताया जाता है कि आज भी संथाली समाज के लोग उस संस्कृति का पालन करते हैं. संथालियों का मानना है कि जो कोई भी यहां आकर लुगूबाबा की पूजा-अर्चना करता है उनकी मनोकामना पूरी हो जाती है.

इसी मान्यता के कारण यहां प्रतिवर्ष सरना धर्म महासम्मेलन का आयोजन भी किया जाता है.

इस कारण संथाल जनजाति के लोग यहां डीवीसी को किसी भी परियोजना की शुरुआत नहीं करने देना चाहते.

किस उद्देश्य से हुई थी डीवीसी की स्थापना ?

जब देश आजाद हुआ था तब बिजली की कमी को पूरा करने के लिए 1948 में दामोदर वैली कॉरपोरेशम यानि डीडीसी की स्थापना की गई थी.

डीवीसी का एकमात्र उद्देश्य बिजली का निर्माण नहीं था. इसके अलावा स्थानीय ग्रामीण क्षेत्रों का विकास, भूमि संरक्षण और सिंचाई आदि भी इसके लक्ष्य में शामिल थे.

दामोदर घाटी परियोजना भारत की ऐसी पहली परियोजना है, जहां कोयला, जल और गैस तीनों स्रोतों से बिजली उत्पन्न की गई. झारखंड में सबसे पहले 1953 में बोकारो थर्मल पावर (Thermal Power) की स्थापना की गई.  इसके तहत सबसे पहले बोकारो में पावर प्लांट लगाया गया.

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