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साहिबगंज की पहाड़िया जनजाति के लिए सभी बुनियादी सुविधाएं 6 माह में करें बहाल : झारखंड हाईकोर्ट

साहिबगंज में रहने वाले आदिम जनजाति के लोगों को बुनियादी सुविधाएं यानी सड़क, पानी, स्कूल, अस्पताल, रोजगार, पेंशन आदि उपलब्ध कराने को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई.

हाईकोर्ट में मंगलवार को चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई की. खंडपीठ ने छह महीने के अंदर साहिबगंज की पहाड़िया जनजाति को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है.

इसी के साथ कोर्ट ने याचिका निष्पादित कर दी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अनूप कुमार अग्रवाल की ओर से कोर्ट को बताया गया कि साहिबगंज के आदिम जनजाति के 50 हज़ार लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि साहिबगंज के आदिम जनजाति के लोगों को बुनियादी सुविधा जिनमें सड़क, पानी, स्कूल, अस्पताल, रोजगार, जन वितरण प्रणाली के माध्यम से राशन, सरकार की पेंशन स्कीम, सरकार की डाकिया योजना की तरह घर-घर राशन पहुंचाने की योजना आदि शामिल है, की सुविधा नहीं मिल पा रही है.

कोर्ट को बताया गया है कि साहिबगंज के तीन तरफ से पहाड़ है और एक तरफ से नदी है. पहाड़ के ऊपर सौरिया पहाड़िया की करीब 50 हजार की आबादी रहती है जो आदिम जनजाति है.

केंद्र सरकार ने साल 2015 में ट्राइबल ग्रुप का एक लिस्ट बनाया था, जिसमें सौरिया पहाड़िया भी शामिल है. यह आदिम जनजाति में आती है. केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को पावर दिया है कि वह इन जनजाति के लोग जहां रहते हैं वहां जाएं, साथ ही जनजातियों की आवश्यकता को देखते हुए उनके लिए स्कीम बनाएं. केंद्र सरकार इसका शत-प्रतिशत खर्च वहन करेगी.

इनके लिए आजीविका, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, घर, रोड कनेक्टिविटी, बिजली, सिंचाई, खेलकूद को ध्यान में रखते हुए इसकी स्कीम बनाने को कहा गया था.

इसके बाद भी राज्य सरकार की ओर से साहिबगंज की पहाड़िया जनजातियों को कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करायी गई है.

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