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झारखंड: सिंहभूम के आदिवासियों ने जियाडा(JIADA) को जमीन उपलब्ध कराने का किया विरोध

झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (Jharkhand Industrial Area Development Authority) द्वारा पश्चिम सिंहभूम में ग्राम सभाओं को विश्वास में लिए बिना उद्योगों के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के विरोध में पारंपरिक हथियारों से लैस लगभग एक हजार आदिवासी ग्रामीणों ने रविवार को प्रदर्शन किया.

झारखंड के खनिज समृद्ध पश्चिमी सिंहभूम ज़िले के खूंटपानी, टोंटो और नोवामुंडी ब्लॉक के विभिन्न हिस्सों के ग्रामीण जियाडा (झारखंड में औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिए जिम्मेदार राज्य उद्योग विभाग की एक इकाई) द्वारा 300 एकड़ से अधिक भूमि अधिग्रहण के खिलाफ खूंटपानी के लोहरदा पंचायत के अंतर्गत कोटसोना में आयोजित एक जन विरोध कार्यक्रम में एकत्र हुए थे.

खूंटीपानी ब्लॉक के कोटसोना में लोहरदा पंचायत के मुंडा चंदन होनहागा ने कहा कि हमें मीडिया के माध्यम से खूंटपानी, नोवामुंडी और टोंटो ब्लॉक में इंडस्ट्रियल हाउस के आवंटन के लिए भूमि के चयन पर जियाडा अधिकारियों के बयानों के बारे में पता चला है. हालांकि, ग्राम सभा (ग्राम स्तरीय समितियों) को विश्वास में लिए बिना औद्योगिक उपयोग के लिए भूमि की पहचान की गई है.

उन्होंने आगे कहा कि ब्लॉक में मानकी मुंडा जैसे ग्राम प्रधानों के माध्यम से एक पारंपरिक स्वशासन प्रणाली है और सभी प्रमुख निर्णय मानकी मुंडा के अनुमोदन के बाद लिए जाते हैं. लेकिन औद्योगीकरण की आड़ में हमारी जमीनें छीनी जा रही हैं, यहां तक ​​कि इस पर हमारा विचार भी नहीं लिया जा रहा है. हमने रविवार को अपने विरोध प्रदर्शन के बाद सोमवार को अधिकारियों को पत्र लिखा है.

उन्होंने सरकार द्वारा उनकी मांगों को नहीं मानने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी और अगर उद्योगों को चिन्हित भूमि आवंटित करने के लिए आगे बढ़ना जारी रखा.

होनहागा ने कहा, “हमने एक विरोध प्रदर्शन किया और झारखंड के राज्यपाल (रमेश बैस), मुख्यमंत्री (हेमंत सोरेन) और पश्चिमी सिंहभूम की डिप्टी कमिश्नर (अनन्या मित्तल) को भी पत्र लिखा है. अगर हमारी शिकायतों का समाधान नहीं किया गया तो हमें हिंसक आंदोलन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.”

आदिवासियों द्वारा सौंपे गए पत्र में उद्योगों को आवंटन के लिए जियाडा द्वारा चिन्हित किए जा रहे खूंटपानी ब्लॉक में 271.12 एकड़, टोंटो ब्लॉक में 90.37 एकड़ और नोवामुंडी ब्लॉक में 131.15 एकड़ जमीन का जिक्र है.

होनहागा ने कहा कि आदिवासी वन और भूमि संसाधनों पर निर्भर हैं और हमने पहले भी देखा है कि कैसे कंपनियां बाद में उनके विकास की परवाह किए बिना आदिवासी भूमि का अधिग्रहण कर इकाइयाँ स्थापित करती हैं. हम चाहते हैं कि उद्योगों को जमीन दिए जाने से पहले ग्राम सभा में सभी बातों पर विस्तार से चर्चा की जाए.

पश्चिमी सिंहभूम की डिप्टी कमिश्नर अनन्या मित्तल ने मामले को देखने का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा, “मैंने अतिरिक्त जिला कलेक्टर को यह जांच के निर्देश दिए है कि क्या जियाडा द्वारा भूमि की पहचान में सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया था. मैं आश्वस्त करना चाहती हूं कि किसी के भी हित की अनदेखी नहीं की जाएगी.”

(Photo Credit: The Telegraph)

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