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बेंगलुरु में झारखंड की 11 आदिवासी लड़कियों को तस्करों के चंगुल से छुड़ाया गया

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झारखंड से तस्करी कर कर्नाटक ले जाई गई 11 नाबालिग लड़कियों को बेंगलुरु में तस्करों के चंगुल से छुड़ाने में कामयाबी मिली है. एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार रात को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि ये लड़कियां पहड़िया समुदाय से ताल्लुक रखती हैं, जो एक विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) है.

अधिकारी ने कहा कि पहड़िया समुदाय की 11 लड़कियों को तस्करों के चंगुल से बचाया गया है. उन्हें बेंगलुरु से वापस रांची लाया जाएगा. उन्होंने बताया कि ये सभी लड़कियां झारखंड के साहिबगंज और पाकुड़ जिले की रहने वाली हैं.

इस बीच राज्य सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि मानव तस्करों द्वारा बड़े शहरों में नौकरी का झांसा देकर गरीब परिवारों के बच्चों को बेचे जाने के कई मामले सामने आए हैं. राज्य सरकार की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट इन आपराधिक गतिविधियों से निपटने और बच्चों को छुड़ाने के लिए तस्करों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है. साथ ही तस्करों के चंगुल से बचाए गए बच्चों के पुनर्वास के भी इंतजाम किए गए हैं.

यह अपनी तरह की पहली घटना नहीं है क्योंकि कुछ दिन पहले ही झारखंड से तस्करी कर लायी गई 13 नाबालिग लड़कियों को दिल्ली में बचाया गया था. इनमें 14 साल की एक गर्भवती लड़की भी शामिल थी.

झारखंड के आदिवासी बहुल जिलों से व्यापक पैमाने पर आदिवासी युवतियों, लड़कियों और बच्चियों को काम दिलाने के बहाने दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे बड़े महानगरों में बेच दिया जाता है. मानव तस्करी स्थानीय एजेंट के सहारे इस काम को अंजाम देते हैं.

महानगरों में इन युवतियों और बच्चियों को घरेलू सहायिका के रूप में काम कराया जाता है. कई बार इन्हें अमानवीय परिस्थितियों में काम करना पड़ता है. इनके पैसे बिचौलिये खा जाते हैं. इन लड़कियों को वहां शारीरिक और यौन उत्पीड़न तक का सामना करना पड़ता है.

मानव तस्करी का शिकार होने वाली ज्यादातर बच्चियां संताल और पहाड़िया जैसी आदिम जनजातीय समुदाय की होती है. क्योंकि दुर्गम और दूरदराज के इलाकों में काम की कमी होती है तो ऐसे में इनके अभिभावक भी महानगर में अच्छी नौकरी और सैलरी के झांसे में आ जाते हैं.

झारखंड का संताल परगना और कोल्हान प्रमंडल के कुछ जिले मानव तस्करों की खास निगाह में होते हैं. स्थानीय महिला और पुरुष एजेंट के जरिए तस्कर लड़कियों को झांसे में लेते हैं और फिर उन्हें यहां से ले जाकर दूसरे शहरों में बेच दिया जाता है.

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