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कर्नाटक सरकार की राज्य में शिक्षा, नौकरियों में SC/ST कोटा बढ़ाने की मांग, केंद्र को भेजा प्रस्ताव

कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने शिक्षा और नौकरियों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आरक्षण बढ़ाने का फैसला किया है. कर्नाटक सरकार ने गुरुवार को राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए शिक्षा और रोजगार में संविधान की 9वीं अनुसूची, अधिनियम, 2022 के तहत आरक्षण बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है.

राज्य सरकार का यह कदम तब सामने आया है जब आने वाले महीनों में राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.

कर्नाटक सरकार के मुताबिक, यह एक्ट राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों के लिए शैक्षिक संस्थानों की सीटों पर आरक्षण और सेवाओं में नियुक्तियों या पदों के लिए बनाया गया है.

कर्नाटक की प्रमुख सचिव वंदिता शर्मा ने इस संबंध में केंद्र के गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को पत्र लिखा है. इस एक्ट के मुताबिक, राज्य अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण का प्रतिशत 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया है. वहीं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत किया जाने का प्रस्ताव रखा गया है.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस संबंध में कहा कि संविधान की 9वीं अनुसूची में आरक्षण बढ़ाने पर अधिनियम को शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को प्रस्तुत किया गया है.

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए शिक्षा और रोजगार में आरक्षण बढ़ाने का फैसला वंचित समुदायों के प्रति हमारी सरकार की प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है.

दरअसल, बढ़ाए गए आरक्षण को शामिल करने में देरी सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच चुनावी राज्य में एक फ्लैशपॉइंट बन गई है. इस बीच कांग्रेस ने बढ़ाए गए आरक्षण को लागू करने में हो रही देरी को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए “राजभवन चलो” का आयोजन करने का फैसला किया है.

कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा कि भाजपा द्वारा एससी/एसटी समुदायों के लिए बढ़ाए गए आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करने के वादे के बावजूद राज्य सरकार ने अभी तक केंद्र को एक प्रस्ताव नहीं सौंपा है.

उन्होंने कहा कि भाजपा ने दलित समुदाय को धोखा दिया है. इसलिए हम राजभवन के सामने इसका विरोध करेंगे.

शिवकुमार ने कहा, “केंद्र सरकार ने कहा कि उन्हें (राज्य से) कोई प्रस्ताव नहीं मिला है. जब कोई प्रस्ताव नहीं है तो साफ है कि बीजेपी ने दलित समुदाय को धोखा दिया है.”

उन्होंने पूछा, “संसद सत्र चल रहा है. भाजपा सरकार ने नौवीं अनुसूची में (बढ़ा हुआ आरक्षण) शामिल करने के लिए संशोधन क्यों नहीं किया?”

इस बीच सीएम बोम्मई ने कांग्रेस की आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि जब वे सत्ता में थे तो पार्टी ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं किया. उन्होंने कहा, “उनके पास इस बारे में बात करने का कोई नैतिक या राजनीतिक अधिकार नहीं है.”

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