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कर्नाटक: ये जनजातीय बस्तियां कोविड की तीसरी लहर से हैं अछूते

कोरोना की तीसरी लहर में कर्नाटक में संक्रमण के मामले दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं. राज्य में गुरुवार को कोरोना के 47 हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए. हालांकि भले ही पूरे राज्य में तीसरी लहर में कोविड-19 मामलों में भारी वृद्धि देखी जा रही है लेकिन मैसूर और चामराजनगर जिलों में आदिवासी बस्तियों ने संक्रमण का कोई मामला दर्ज नहीं किया है.

अधिकारियों के मुताबिक, तीसरी लहर में चामराजनगर की आदिवासी बस्तियों से कोई कोविड-19 मामले सामने नहीं आए हैं. जबकि मैसूर जिले के एचडी कोटे तालुक में संक्रमण के मामले बहुत कम हैं.

चामराजनगर जिले के स्वास्थ्य अधिकारी विश्वेश्वरैया के एम ने कहा, “अब तक जिले की आदिवासी आबादी के बीच संक्रमण का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. इसी तरह की प्रवृत्ति एचडी कोटे तालुक से भी सामने आई है, जिसमें एक बड़ी आदिवासी आबादी भी है.”

वहीं तालुक के स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर रवि कुमार ने कहा कि आदिवासी आबादी में कोरोना संक्रमण के मामले बहुत कम हैं.

इन दोनों अधिकारियों के मुताबिक आदिवासी आबादी में कोविड-19 के कम मामलों का प्राथमिक कारण उनकी जीवनशैली है. उन्होंने कहा, “वे मुश्किल से शहरों का दौरा करते हैं या बाहरी दुनिया से संपर्क नहीं बनाते हैं. उनका आंदोलन जंगलों और बस्तियों तक सीमित है. इसलिए बस्तियों में रहने वाले आदिवासियों के वायरस से संक्रमित होने की संभावना कम है.”

विश्वेश्वरैया के मुताबिक आदिवासी बस्तियों में लगभग 80 से 85 फीसदी कवरेज के साथ टीकाकरण अच्छा है. रवि कुमार ने कहा, “एचडी कोटे में आदिवासी बस्तियों में लक्षित आदिवासी आबादी के 81 फीसदी को अब कोविड-19 से बचाव के लिए टीके की दोनों खुराक मिल गई है.”

रवि कुमार ने कहा, “पहले आदिवासी आबादी में वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट थी लेकिन अब इसका समाधान हो गया है.”

हालांकि शहरों में कोरोना संक्रमण के ज्यादा मामले दर्ज किए जा रहे हैं. मैसूरु जिले के कोविड-19 बुलेटिन के मुताबिक जिले के 9,097 मामलों में से अधिकांश मैसूर शहर में मिले हैं. सरगुर तालुक जिसमें आदिवासियों की आबादी अधिक है, वहां सिर्फ 50 सक्रिय मामले हैं उसके बाद एचडी कोटे हैं जहां सक्रिय मामले अब 94 पर हैं.

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