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केरल: आदिवासी इलाक़ों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बेहतर करने पर ज़ोर, मुख्यमंत्री की अहम बैठक 10 जून को

लगातार दूसरे साल भी स्कूल न खुलने और पढ़ाई ऑनलाइन होने के चलते, इंटरनेट पर ज़ोर बढ़ रहा है, और बुरी कनेक्टिविटी के मुद्दे सामने आ रहे हैं. बुरे इंटरनेट का सबसे ज़्यादा असर ग्रामीण और आदिवासी इलाक़ों में दिख रहा है.

हालात सुधारने के लिए अब केरल सरकार राज्य के अलग-अलग हिस्सों में ख़राब इंटरनेट कनेक्टिविटी के मुद्दे में हस्तक्षेप कर रही है. कोविड महामारी के इस दौर में जब सभी स्कूल ऑनलाइन हैं कई बच्चे, विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी बस्तियों में रहने वाले, ख़राब इंटरनेट कनेक्टिविटी के चलते पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.

अब मुख्यमंत्री पिणराई विजयन ने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स की एक बैठक बुलाई है, जिसमें लास्ट माइल कनेक्टिविटी पर चर्चा होगी. यह वर्चुअल मीटिंग 10 जून को होनी है.

केरल स्टेट बोर्ड की डिजिटल क्लास 1 जून से KITE-Victers टीवी चैनल के माध्यम से शुरू हो गई थीं. लेकिन हर कक्षा के हिसाब से ऑनलाइन क्लास जुलाई में चरणों में शुरू होनी हैं. इसमें शिक्षकों और छात्रों के बीच लाइव बातचीत शामिल है, ताकि पढ़ाई बेहतर हो सके.

केरल के मुख्यमंत्री पिणराई विजयन

कनेक्टिविटी के मुद्दों के अलावा, अधिकांश बच्चों के पास डिजिटल उपकरणों की कमी भी लाइव क्लास के लिए समस्याएँ खड़ी करती है. हाल ही में राज्य के शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी ने स्थानीय निकायों, निर्वाचित प्रतिनिधियों और Philanthropists से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था कि सभी छात्रों के पास डिजिटल डिवाइस हों.

पिछले साल केरल शास्त्र साहित्य परिषद के एक अध्ययन से पता चला था कि ख़राब इंटरनेट कनेक्टिविटी ने 39.5% छात्रों के लिए मुश्किलें खड़ी की थीं. इसमें से ज्यादातर बच्चे पहाड़ी और आदिवासी इलाक़ों से थे.

जनजातीय विकास विभाग के एक आकलन के अनुसार कम से कम 400 आदिवासी बस्तियों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की दिक्कत है. यह इलाक़े कोल्लम, पतनमतिट्टा, इडुक्की, पालक्काड, मलप्पुरम और वायनाड ज़िलों में हैं.

हाल ही में इडुक्की में राजमाला के बच्चों के इरविकुलम नेशनल पार्क तक छह किलोमीटर की यात्रा करने की कुछ मीडिया रिपोर्ट्स आई थीं. यह बच्चे ऑनलाइन क्लास के लिए नेटवर्क ढूंढते-ढूंढते यह यात्रा करते थे.

इसके अलावा चेल्लनम में आठवीं कक्षा के एक लड़के के पास मोबाइल फोन नहीं था, और यह बात उसने एक टीवी चैनल के फोन-इन कार्यक्रम के दौरान शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी को बताई. मंत्री ने इसका संज्ञान लेकर स्थानीय विधायक से उस लड़के को फ़ोन दिलवाया.

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