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केरल सरकार आदिवासी समुदायों के 20 छात्रों को देगी सिविल सेवा की मुफ्त ट्रेनिंग

सिविल सेवा परीक्षाओं में अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय के सदस्यों की भागीदारी बढ़ाने के प्रयास में, केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) सरकार ने एक मुफ्त प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है.

आवासीय प्रारंभिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए 40 छात्रों के एक बैच को शॉर्टलिस्ट किया गया है, जिसमें से 20 को उनकी पसंद की किसी भी अकादमी में मुफ्त में ट्रेनिंग देने के लिए चुना जाएगा.

सरकार ने पहले चरण में कार्यक्रम के लिए 70 लाख रुपये मंजूर किए हैं. एलडीएफ सरकार द्वारा देश में अपनी तरह की पहली परियोजना की परिकल्पना हाशिए के समुदाय के लोगों को सिविल सेवा परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने के लिए और प्रोत्साहित करने के लिए की गई है. कार्यक्रम की शुरुआत 30 जून को हुई थी.

एलडीएफ सरकार ने आदिवासी समुदाय के सुधार पर लगातार ध्यान केंद्रित किया है, जो राज्य की आबादी का लगभग 1.43 फीसदी है. विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है, जो जनजातीय आबादी का लगभग 6.17 फीसदी है.

सरकार ने आदिवासी समुदाय की साक्षरता दर और रोजगार क्षमता में सुधार के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं.

20 छात्रों के लिए मुफ्त ट्रेनिंग  

अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग ने कोच्चि में सिविल सेवा अकादमी में एक महीने के आवासीय कार्यक्रम से गुजरने के लिए 30 वर्ष से कम आयु के 10 जिलों के 40 छात्रों का चयन किया है. एक महीने के बाद 20 छात्रों को भारत में कहीं भी मुफ्त प्रशिक्षण के लिए चुना जाएगा.

एसटी, एससी और बीसी कल्याण मंत्री के राधाकृष्णन ने कहा, “केरल इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत में कहीं भी किसी भी प्रमुख संस्थान से 20 एसटी उम्मीदवारों को सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रशिक्षित करने वाला पहला राज्य है. 10 विभिन्न जिलों से 40 छात्रों का चयन किया गया है और वे विभिन्न आदिवासी समुदायों से संबंधित हैं.”

सरकार ने एक महीने के आवासीय प्रशिक्षण के लिए 10 लाख रुपये और 20 छात्रों के प्रशिक्षण के लिए 60 लाख रुपये आवंटित किए हैं. प्रत्येक चयनित छात्र को एलडीएफ सरकार द्वारा 3 लाख रुपये की सहायता प्रदान की जाएगी.

के राधाकृष्णन ने कहा, “सरकार हर समय लोगों के साथ रहने के अपने वादे को निभा रही है.”

सरकार ने आवेदकों के लिए वार्षिक इनकम स्लैब 2.5 लाख रुपये तय करने की भी योजना बनाई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजना आदिवासी समुदायों के भीतर आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को लाभान्वित करे.

2011 की जनगणना के मुताबिक केरल में जनजातीय आबादी 4 लाख 84 हज़ार 839 है, जिसमें महिलाओं (2 लाख 46 हज़ार 636) की संख्या पुरुषों (2 लाख 38 हज़ार 203) से अधिक है. आदिवासियों में साक्षरता दर 74.44 फीसदी है, जो राज्य के औसत 93.91 फीसदी से बहुत कम है. एसटी सामाजिक-आर्थिक स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं में साक्षरता 70.15 फीसदी है, जो पीवीटीजी में फिर से कम है.

शिक्षा के माध्यम से सशक्तिकरण

जनजातीय समुदाय संख्या में छोटा है उसके बावजूद लंबे समय से अधिकारों और सुविधाओं से वंचित है. एलडीएफ सरकार का दावा है कि वो आदिवासी समुदाय की जरूरतों पर विशेष ध्यान दे रही है और शिक्षा, भूमि, आवास और अन्य विकास पर विशेष कार्यक्रम तैयार किया है.

के राधाकृष्णन ने कहा, “आदिवासी समुदायों के छात्र सिविल सेवा के लिए प्रयास कर सकते हैं जो शासन के पहिये को बदल देता है. सरकार उस समुदाय के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है जिसे लंबे समय से शिक्षा से वंचित रखा गया था.”

एलडीएफ सरकार ने 2021-22 के बजट में विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए 735.86 करोड़ रुपये आवंटित किए. विभाग द्वारा विशेष पहलों में मॉडल आवासीय विद्यालय (MRS) भी शामिल हैं, जो लगभग 5,500 छात्रों को शिक्षित करते हैं.

हाल ही में प्रकाशित उच्च माध्यमिक परीक्षा परिणामों में, एमआरएस से उपस्थित होने वाले 962 में से 809 ने परीक्षा उत्तीर्ण की है. एसएसएलसी परीक्षाओं में, एसटी विभाग के तहत 17 में से 16 स्कूलों ने 100 फीसदी पास प्रतिशत दर्ज किया है, जबकि एससी विभाग के नौ में से सात स्कूलों ने सेन्टम परिणाम हासिल किया है.

सरकार ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आदिवासी छात्रों के लिए विभिन्न छात्रवृत्ति कार्यक्रमों की घोषणा की है. सरकार ने सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए विभिन्न कोचिंग सुविधाएं देने का वादा किया था, जिससे सिविल सेवा प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ.

मंत्री ने कहा, “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करके ही आदिवासी समुदाय का विकास प्राप्त किया जा सकता है. एलडीएफ सरकार आवश्यक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करेगी.”

(Image Credit: Twitter handle of the K Radhakrishnan)

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