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आदिवासियों को दुर्गम इलाक़ों में समय से मिले राशन और दूसरी ज़रूरी चीजें – केरल हाईकोर्ट

केरला हाईकोर्ट ने 18 जनवरी को अपने एक आदेश में राज्य सरकार को कहा है कि इडुक्की ज़िले में आदिवासियों को राशन और दूसरी आवश्यक चीज़ें समय से मिलनी चाहिएं. जस्टिस एस मणीकुमार और जस्टिस चाली की बेंच ने सरकार को कहा है कि पहाड़ी इलाक़ों में बसे आदिवासियों की बस्तियों तक सड़क बनाए जाने की संभावनाएं भी तलाश की जानी चाहिएं. 

दरअसल, 2016 में केरल हाईकोर्ट के एक पूर्व जज कमाल पाशा ने हाईकोर्ट को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में उन्होंने कहा था कि उनके पास एक ग़ैर सरकारी संस्था का डेलीगेशन शिकायत ले कर आया था, जिसमें कहा गया था कि मॉनसून के महीने में पहाड़ी इलाक़ों में रहने वाले आदिवासियों को राशन, दवाई या दूसरी ज़रूरी चीज़ें नहीं पहुँच पाती हैं. 

हालांकि इस मामले में जब शिकायत केरल सरकार के पास पहुँची तो सरकार ने सभी ज़रूरी कदम उठाए थे. इस सिलसिले में कोर्ट की जाँच में भी पाया गया कि सरकार ने सभी ज़रूरी कदम उठाए हैं, और अब आदिवासियों को राशन मिल रहा है.

ग़ैर सरकारी संस्था ने अपनी शिकायत में कहा था कि मॉनसून के महीने में सरकारी एजेंसियों के लिए इन इलाक़ों में पहुँचना बेहद कठिन काम होता है. इसलिए इन इलाक़ों में रहने वाले आदिवासियों को राशन नहीं मिल पाता है. इस वजह से इन आदिवासियों में भूख की वजह से मौतें बढ़ जाती हैं. 

केरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार की तरफ़ से बताया गया कि जिन इलाक़ों की बात हो रही है वो मुन्नार शहर से क़रीब 45 किलोमीटर दूरी पर बसे हैं. ये इलाक़े दुर्गम हैं और बारिश में इन इलाक़ों में पहुँचना बेहद मुश्किल हो जाता है. लेकिन इसके बावजूद सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि इन इलाक़ों में राशन की कमी ना हो. सरकार की तरफ़ से बताया गया है कि इन इलाक़ों की राशन दुकानों में पहले से ही स्टॉक रख दिया जाता है. 

केरल के इडुक्की ज़िले में मुत्तुवन नाम के आदिवासी रहते हैं.

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