केरल के कासरगोड ज़िले से 2010 में लापता हुई एक आदिवासी लड़की के केस में हाईकोर्ट ने अहम निर्देश दिए हैं.
कोर्ट ने जांच अधिकारी को आदेश दिया है कि वह लड़की के माता-पिता से मिलें और उनकी बात ध्यान से सुनकर कार्यवाई करे.
यह निर्देश सोमवार को केरल हाईकोर्ट के जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस एम.बी. स्नेहलता की खंडपीठ ने दिया.
कोर्ट ने ये आदेश लड़की की मां द्वारा दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) की सुनवाई करते हुए दिया.
गौरतलब है कि लड़की के लापता होने के कई वर्षों बाद, 2021 में उसके माता-पिता ने केरल हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस रिट दायर की थी.
आमतौर पर यह रिट तब लगाई जाती है जब किसी व्यक्ति को गैरकानूनी हिरासत में रखा गया हो. लेकिन अगर कोई व्यक्ति अचानक लापता हो जाए और परिवार को यह आशंका हो कि वह किसी की अवैध हिरासत में है या उसे अगवा कर लिया गया है तो ऐसे मामलों में भी यह रिट दायर की जा सकती है.
लड़की की मां ने अदालत से आग्रह किया था कि उनकी बेटी को अदालत में पेश किया जाए या फिर उसकी स्थिति के बारे में जानकारी दी जाए.
कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए 9 दिसंबर 2024 को मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी थी.
इसी जांच के आधार पर हाल ही में पुलिस ने बिजू नामक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया है.
लड़की के परिवार का कहना है कि आरोपी बिजू के अलावा एक और व्यक्ति इस मामले में शामिल हो सकता है.
लड़की 6 जून 2010 को लापता हुई थी. उस समय वह 17 साल की थी.
परिवार ने उसी दिन गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई थी. लेकिन पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला और सालों तक यह मामला ठंडे बस्ते में रहा.
2021 में परिवार ने हाईकोर्ट का रुख किया. इसके बाद 2024 में कोर्ट ने केस क्राइम ब्रांच को सौंपा.
हाल ही में पुलिस ने बिजू पॉलोस नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. बताया गया है कि कासरगोड के बप्पुनकायम गांव का रहने वाला है. कोर्ट ने उसे 31 मई तक न्यायिक हिरासत में रखा है.
हालांकि बिजू की गिरफ्तारी हुई है लेकिन परिवार इससे संतुष्ट नहीं है.
उनका कहना है कि एक और व्यक्ति इस घटना में शामिल हो सकता है. उन्होंने यह शक पहले भी जताया था. लेकिन पुलिस ने उस दिशा में जांच नहीं की.
लड़की की मां के वकील ने कोर्ट में कहा कि पिता को शुरू से ही शक है कि इस मामले में एक और शखस का हाथ हो सकता है.
कोर्ट ने इस बात को गंभीरता से लिया. जांच अधिकारी से कहा गया कि वह खुद माता-पिता से मिलें और उनकी बात समझें.
कोर्ट ने कहा कि मां 2010 से अपनी बेटी का इंतज़ार कर रही है. यह दर्द बहुत बड़ा है.
सिस्टम की ज़िम्मेदारी है कि उसे जवाब दे. कोर्ट ने यह भी कहा कि अभी जो रिपोर्ट सौंपी गई है, वह पूरी नहीं है.
जब तक हर तथ्य सामने नहीं आ जाता तब तक केस को बंद नहीं किया जा सकता.
अब कोर्ट ने जांच टीम से 9 जून तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने पूछा है कि अब तक क्या किया गया और आगे क्या योजना है.

