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केरल के आदिवासी सरकार से ‘सेला’ चावल (Boiled Rice) मांग रहे हैं

1 नवंबर से 7 नवंबर तक केरल सरकार द्वारा असाधारण ‘केरलेयम 2023’ कार्यक्रम (extravagant ‘Keraleeyam 2023’ program) आयोजित किया गया है. इस कार्यक्रम की आलोचना भी की जा रही है.

इस कार्यक्रम के दौरान कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना सरकार ने नहीं की थी. यहां पर जब केरल के खाद्य मंत्री आदिवासियों से मिले तो उन्होंने उनके सामने एक ज़रूरी मांग रख दी. ये आदिवासी इडुक्की ज़िले (Idukki district) के थोडुपुझा (Thodupuzha) के रहने वाले हैं.

कार्यक्रम के दौरान आदिवासियों को राज्य खाद्य मंत्री जीआर अनिल (food ministry G R anil) से बातचीत करने का मौका मिला. इस बातचीत में आदिवासियों ने मंत्री से सेला चावल की मांग की है.

दरअसल राज्य सरकार द्वारा राशन के वितरण में 50:50 स्कीम लॉन्च की गई है. जिसके तहत आधे सेला चावल और आधे कच्चे चावल सभी आदिवासी इलाकों में बांटे जा रहे हैं.

ऐसा लगता है कि आदिवासी सेला चावल खाने के आदी हो चुके हैं और इसलिए सामान्य चावल उन्हें पसंद नहीं आ रहे हैं.

इसी मांग को आदिवासियों द्वारा कार्यक्रम के दौरान खाद्य मंत्री के सामने रखा गया था.

क्या है कार्यक्रम की आलोचना की वज़ह

कार्यक्रम (आदीमाम) को केरल लोकगीत अकादमी द्वारा आयोजित किया गया है. इसका उद्देश्य है की केरल के आदिवासियों की सभ्यता और संस्कृति को भली भाति दर्शाया जाए.

इसमें मुख्य रूप से कार्यक्रम ओराली, माविलर, कानी, मन्नान और पलियार आदिवासियों के रहन सहन और खान पान को दिखाया जाएगा.

अकादमी द्वारा आदिवासियों को सम्मिलित होने के लिए 1000 रूपये प्रतिदिन वेतन देने का वादा भी किया गया है.

लेकिन इस कार्यक्रम की आलोचना करते हुए यह आरोप लगे हैं कि आदिवासियों को यहां पर शो पीस की तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है.

इस सिलसिले में राज्य के एससी, एसटी और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री के राधाकृष्णन ने ‘केरलेयम 2023’ के कार्यक्रम के विवाद पर कहा, “ आदिवासियों के साथ शोपीस की तरह व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए.”

इसके अलावा उन्होंने केरल लोकगीत अकादमी से आग्रह किया की वे इस मामले की जांच करें.

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