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केरल: आदिवासियों के जीवन का होगा आकलन, सुधार के लिए उठाए जाएंगे कदम

केरल के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री के राधाकृष्णन ने राज्य के आदिवासी इलाकों में रहने की स्थिति का आकलन करने के लिए एक प्रभावी निगरानी प्रणाली बनाने का वादा किया है.

उन्होंने जनप्रतिनिधियों से ऐसे इलाकों की समस्याओं को समझने और उनका समाधान ढूंढने को भी कहा है.

राधाकृष्णन ने शनिवार को तिरुवनंतपुरम ज़िले के विदुरा में नरकातिंकला आदिवासी बस्ती का दौरा करते हुए यह बात कही. उनका यह दौरा पिछले कुछ महीनों में बाल शोषण और आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर बेहद महत्वपूर्ण है.

कुछ निवासियों ने घर देने और मौजूदा घरों के रिपेयर में मंत्री के हस्तक्षेप का अनुरोध किया. आदिवासियों से बातचीत के दौरान, मंत्री को एक एमबीबीएस छात्र की पढ़ाई के लिए लैपटॉप खरीदने में असमर्थता का पता चला. ऐसे मामलों में अधिकारियों की अक्षमता की आलोचना की गई.

मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए राधाकृष्णन ने कहा कि सरकार वन, पुलिस, आबकारी, राजस्व, आदिवासी कल्याण और पंचायतों सहित विभागों द्वारा की गई गतिविधियों के समन्वय के लिए काम कर रही है.

छात्रों के लिए पुरस्कार राशि

आदिवासी समुदायों को शिक्षा के प्रति संवेदनशील बनाने और कॉलोनियों में साक्षरता दर में सुधार को प्राथमिकता दी जा रही है.

सतत शिक्षा कार्यक्रमों के लिए केरल राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण को शामिल किया जाएगा. युवाओं को अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, कक्षा 10 और 12 की परीक्षा पास करने वाले छात्रों को ₹3,000 और ₹5,000 का इनाम भी दिया जाएगा.

आदिवासी युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार बीट वन अधिकारियों के रूप में ऐसे समुदायों के 100 महिलाओं समेत 500 युवाओं को रोजगार देगी. दो सौ दूसरे लोगों की भर्ती आबकारी विभाग द्वारा की जाएगी.

इसके अलावा, आदिवासी बच्चों को सेना में प्रवेश के लिए तैयार करने के लिए पूर्व सैनिकों के साथ एक कार्यक्रम आयोजित कर शारीरिक और मानसिक दोनों प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

आदिवासी इलाकों में दर्ज आत्महत्याओं और बाल शोषण के मामलों के बारे में मंत्री ने कहा कि पुलिस जांच जारी है आगे की कार्रवाई जिला पुलिस प्रमुख (तिरुवनंतपुरम ग्रामीण) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर की जाएगी.

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