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केरल: आदिवासी महिला ज़मीन के अधिकार के लिए 150 दिन से भूख हड़ताल पर

केरल(kerala) के मलप्पुरम ज़िले (Malappuram district) के निलाम्बुर(Nilambur) में एक आदिवासी महिला भूमि की मांग को लेकर 150 दिनों से भूख हड़ताल कर रही है.

इनके योगदान और ठोस इरादे को देखते हुए इनकी तुलना मणिपुर की इरोम शर्मिला से भी की जा रही है.

इनका नाम बिंदु वेलास्सेरी (Bindu Vailassery) है. उन्होंने मईस 11 मई से भूख हड़ताल शुरू की थी.

दरअसल 2009 को सुप्रीट कोर्ट के जज एस. बी सिन्हा (S B Sinha) और मुकुंदकम् (Mukundakam) ने यह आदेश जारी किया था की राज्य सरकार क्षेत्र की तरफ से सभी आदिवासियों को दो साल की भीतर भूमि उपलब्ध करवाई जाए.

इस आदेश को अब 14 साल होने वाले है. लेकिन अभी तक कई आदिवासी परिवार को उनकी हक की ज़मीन नहीं मिली है.

इसी सिलसिले में 10 मई को बिंदु ने 200 आदिवासी परिवारों के साथ मिलकर प्रदर्शन करना शुरू किया था. जिसके अगले दिन ही बिंदु ने यह फैसला लिया की वह भूख हड़ताल करेगी.

अब इस भूख हड़ताल को 150 दिन होने वाले है. वहीं स्वास्थ्य विभाग का कहना है की बिंदु की हालात बेहद गंभीर है और उन्हें ज़ल्द से ज़ल्द अस्पाताल में भर्ती करवाने की आवश्यकता है.

लेकिन बिंदु ने अस्पाताल जाने से साफ इंकार कर दिया.

उन्होनें कहा की मेरे पास अपना मकान है. लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी  मेरी कॉलोनी के ऐसे कई लोग है. जिनके पास खुद के मकान नहीं है.

वे अभी  भी गलूकोज के सारे जिंदा है. भूख हड़ताल के दौरान उन्हें कुछ समय के लिए अस्पताल ले जाया गया था. लेकिन अस्पाताल से लौटते ही वह फिर से हड़ताल में बैठ गई.

इस बारे में मिली जानकारी के अनुसार बिदुं पानिया आदिवासी समुदाय की महिला हैं.

वहीं प्रर्दशनकारियों का कहना है की सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 538 एकड़ की जमीन बांटी जानी थी. लेकिन अभी तक राज्य सरकार बस 250 एकड़ जामीन का प्रबंध कर पाई है.

वहीं सरकारी अधिकारियों के मुताबिक उनके पास निलाम्बुर क्षेत्र में आदिवासियों को बांटने के लिए कोई भी ज़मीन नहीं बची है.

पानिया कौन है ?

पानिया आदिवासियों को पनियार या पनियान भी कहा जाता है. ये केरल के सबसे बड़े अनुसूचित जनजातियों में से एक है.

2011 की जनगणना के मुताबिक केरल में इनकी कुल जनसंख्या 90000 हज़ार के लगभग बाताई गई है.

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