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12 साल का सपना हुआ साकार, केरल की पहली आदिवासी एयर होस्टेस बनी गोपिका

गोपिका गोविंद (Gopika Govind) सिर्फ 12 साल की थीं जब उन्होंने एयर होस्टेस बनने का सपना देखा था. हालांकि, कन्नूर में एक अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) के करीमबाला समुदाय (Karimbala community) की एक लड़की के लिए, यहां तक ​​​​कि इस तरह के सपने को देखने के लिए भी साहस की आवश्यकता होती है.

लेकिन गोपिका इस पर कायम रही और अब, 12 साल बाद अलक्कोड के पास कावुनकुडी एसटी कॉलोनी की 24 वर्षीय महिला एयर होस्टेस के रूप में बोर्ड में शामिल होने वाली राज्य की पहली एसटी महिला बन गई है. गोपिका जल्द ही एयर इंडिया एक्सप्रेस में शामिल होंगी.

गोपिका ने कहा, “मुझे आज भी याद है एक बार मेरे घर के ऊपर से हवाईजहाज़ ने उड़ान भरी थी और उसे देखकर मुझे लगा कि मुझे उसके अंदर जाना है. आज भी हवाईजहाज़ के पास जाकर बहुत अच्छा महसूस करती हूं.”

पी गोविंदन और विजी की बेटी, गोपिका का बचपन और किशोरावस्था अपेक्षाकृत रंगहीन था जैसा कि ज्यादातर आदिवासी लड़कियों के साथ होता है. गोपिका ने कहा कि मैंने आसमान छूने, एयर होस्टेस बनने के इस सपने को पूरा किया लेकिन कभी किसी को इसके बारे में नहीं बताया. यहां तक कि मेरे माता-पिता भी नहीं जानते थे.

हालांकि जब गोपिका ने कोर्स के बारे में पूछताछ की तो उसने सारी उम्मीदें छोड़ दी थी. उसने कहा, “यह बहुत महंगा था. मेरा परिवार उतना खर्च नहीं उठा पाएगा.”

तभी गोपिका को अनुसूचित जनजाति की लड़कियों की शिक्षा के लिए एक सरकारी योजना के बारे में पता चला. उसने पूछताछ की और उसे वायनाड में ड्रीम स्काई एविएशन ट्रेनिंग अकादमी में IATA ग्राहक सेवा देखभाल में डिप्लोमा करने का प्रस्ताव मिला. वह उस समय कन्नूर के एसएन कॉलेज में एमएससी केमिस्ट्री की पढ़ाई कर रही थी.

गोपिका ने कहा कि मुझे नहीं पता था कि ऐसी योजनाएं मौजूद हैं. राज्य सरकार ने मेरी कोर्स फीस 1 लाख रुपये अदा की. मुझे कुछ भी भुगतान नहीं करना पड़ा. उसने अपनी सफलता का श्रेय सरकार और अकादमी के फैकल्टी को दिया.

बुधवार को विधानसभा में शासकीय योजनान्तर्गत अध्ययनरत एसटी विद्यार्थियों का प्रमाण पत्र वितरण किया गया. कार्यक्रम के बाद, गोपिका एयर इंडिया के साथ अपनी ट्रेनिंग को पूरा करने के लिए मुंबई के लिए उड़ान भरी.

गोपिका ने कहा, “मैं अभी भी और अधिक हासिल करने का सपना देखती हूं। हालांकि जब तक मैं उन्हें हासिल नहीं कर लेती, तब तक मैं उसके बारे में कुछ नहीं बताउंगी.”

करीमबाला समुदाय के सदस्य ज्यादातर कन्नूर के थालास्सेरी और तालीपरम्बा तालुकों में रहते हैं. पनिया और इरुलर समुदायों की तुलना में, करीमबाला में कम सदस्य हैं.

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