Mainbhibharat

क्या रंग, रूप और आदिवासी होने के कारण विश्वनाथन की हत्या हुई

केरल (Kerala) के वायनाड में 11 फरवरी को कोझिकोड मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के कैंपस में आदिवासी शख्स विश्वनाथन (Vishwanathan) की मौत की जांच करने वाली पुलिस टीम ने अपनी रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला कि उसने इतना बड़ा कदम उठाया क्योंकि उसे उस अपराध के लिए सार्वजनिक रूप से अपमानित किया गया था जो उसने किया ही नहीं था.

रिपोर्ट के अनुसार, विश्वनाथन पर चोरी का आरोप लगाया गया था और उसको भीड़ ने पीटा, साथ ही चोरी किए गए सामान को ढूंढने के लिए उसके बैग की तलाशी ली गई और इस सब से उसे बहुत शर्मींदगी हुई.

रिपोर्ट में कहा गया है, “विश्वनाथन पर उसके रंग और रूप के चलते चोरी का आरोप लगाया गया था. जिन लोगों ने उस पर चोरी का आरोप लगाया, उन्होंने मान लिया कि वो ही संदिग्ध था क्योंकि वह एक आदिवासी था.”

मेडिकल कॉलेज एसीपी, जिन्होंने इस जांच का नेतृत्व किया, उन्होंने रिपोर्ट को मानवाधिकार आयोग को सौंप दिया. हालांकि पुलिस को रिपोर्ट में अपने दावों को प्रमाणित करने के लिए सबूत नहीं मिले हैं.

इससे पहले पुलिस ने विश्वनाथन के लापता होने से पहले के अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज की जांच की थी. साथ ही 100 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए हैं.

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी मौत को आत्महत्या बताया गया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि विश्वनाथन की मौत फांसी से हुई और उनके शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं हैं.

क्या है मामला?

आदिवासी समुदाय से आने वाले विश्वनाथन वायनाड की परवायल कॉलोनी में रहता था. विश्वनाथन ने पत्नी को प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती किया था और वह वेटिंग एरिया में बैठकर इंतजार कर रहा था.

इस दौरान किसी का मोबाइल और पैसा गायब हो गया. इसके बाद अस्पताल के कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों ने विश्वनाथन पर चोरी का आरोप लगाते हुए हंगामा किया और उसकी पिटाई की.

घटना के बाद विश्वनाथन अपना सारा सामान छोड़कर लापता हो गया. जब विश्वनाथन लौटकर नहीं आया तो उसकी सास लीला ने मेडिकल कॉलेज पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद 11 फरवरी सुबह में उसका शव अस्पताल के पास एक पेड़ से मिला.

इसके बाद पुलिस ने घटना को आत्महत्या बताया था. जबकि परिजनों का दावा था कि विश्वनाथन की मौत सुसाइड से नहीं हुई है बल्कि उसकी हत्या की गई है.

विश्वनाथन की पत्नी बिंदू और रिश्तेदारों का कहना है कि उसके आत्महत्या का कोई कारण नहीं था क्योंकि आठ साल के इंतजार के बाद 9 फरवरी को उसकी पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया था.

इस घटना को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता, आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता और लेखकों ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई थी.

13 फरवरी को कांग्रेस नेता और वायनाड के सांसद राहुल गांधी ने भी विश्वानथन के घर जाकर परिजनों से मुलाकात की थी. मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि विश्वनाथन भीड़ के हमले का शिकार हुआ है और घटना की कड़ी जांच होनी चाहिए.

इस घटना ने दिलाई ए मधु की याद

विश्वनाथन की घटना ने पांच साल पहले हुए ए मुध मामले की याद दिला दी. 22 फरवरी, 2018 को अट्टापडी में मुक्कली के पास चिंदक्की टोले के एक आदिवासी युवक मधु को जंगल की एक गुफा से पकड़ा गया था और चोरी के आरोप में लिंचिंग की गई थी.

पिटाई के बाद उसे पुलिस को सौंपा गया लेकिन अस्पताल ले जाते समय मधु की मौत हो गई. मौत की वजह मारपीट से लगी अंदरूनी चोटें थीं.

भीड़ द्वारा आदिवासी युवक मधु को पकड़ने की तस्वीर और वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था. घटना के दो दिन बाद मधु की मौत को लेकर बवाल होने पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.

हालांकि, सभी 16 अभियुक्तों को केरल हाईकोर्ट से 30 मई, 2018 को सशर्त जमानत मिल गई थी.

इसके बाद ट्रायल कोर्ट ने अगस्त में 12 अभियुक्तों की जमानत रद्द कर दी ताकि उन्हें गवाहों को प्रभावित करने से रोका जा सके. केरल हाई कोर्ट ने 11 आरोपियों की जमानत रद्द करने के फैसले को बरकरार रखा.

20 अक्टूबर, 2022 को मन्नारक्कड़ में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की विशेष अदालत ने अट्टापडी मधु लिंचिंग मामले में 11 आरोपियों को सशर्त जमानत दे दी. मुकदमे में अब तक अभियोजन पक्ष के 27 गवाह मुकर गए हैं. ऐसे में अब सवाल उठने लगा है कि क्या ए मधु को न्याय मिल पाएगा?

Exit mobile version