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कोया आदिवासियों ने की गोंडी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग तेज़

कोया जनजाति के लोगों ने बुधवार को पूर्वी गोदावरी ज़िले के एजेंसी इलाक़ों में गोंडी भाषा दिवस मनाया. उन्होंने अपनी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग भी उठाई.

गोंडी भाषा दिवस 21 जुलाई को आदिवासी सम्मेलन परिषद (ASP) द्वारा आयोजित दिल्ली कन्वेंशन – 2018 के अनुसार मनाया जाता है. ASP उत्तर, दक्षिण और मध्य भारत में पैले आठ राज्यों में भाषा और संस्कृति के संरक्षण के लिए प्रयास कर रहा है.

गोंडी भाषा दिवस मनाने के लिए कोया आदिवासी समुदाय के सरकारी कर्मचारियों, छात्रों, युवाओं और औरतों ने मोटरसाइकिल रैलियां निकालीं. इसके अलावा गोंडी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की काफ़ी समय से लंबित अपनी मांग को पूरा करने के लिए बैठकें भी कीं.

चिंतूर में कोया आदिवासियों ने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों को पुष्पांजलि अर्पित की और एक रैली निकाली. उधर, कुनावरम में कोया ट्राइबल सोसाइटी की जॉइंट एक्शन कमेटी द्वारा आयोजित एक बैठक में कोया संस्कृति और भाषा की रक्षा के प्रयासों को तेज़ करने पर बात हुई.

लगातार बारिश की वजह से सभाओं और रैलियों में लोगों की उपस्थिति कुछ कम रही. एएसपी के राष्ट्रीय समन्वयक मादिवी नेहरू ने एक अखाबर को बताया कि गोंडी भाषा के लिए राष्ट्रीय स्तर का आंदोलन इस समुदाय की संस्कृति और एकता की गांव-स्तर पर सुरक्षा की ज़रूरत पर जोर देगा.

गृह मंत्रालय के एक आधिकारिक दस्तावेज़ के मुताबिक़ संविधान की आठवीं अनुसूची में गोंडी समेत 38 भाषाओं को शामिल करने की मांग की जा रही है.

2004 में चार भाषाओं – बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली – को आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया, जिसमें अब 22 भाषाएँ शामिल हैं.

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