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मणिपुर: कुकी समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची से न हटाने की अपील

कुकी समुदायों के छात्र संघठनों ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से अपील की है कि वो अनुसूचित जनजाति की सूची से किसी भी कुकी जनजाति को हटाने की प्रक्रिया को रोक दें.

कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गनाइज़ेशन के जनरल हेडक्वॉर्टर और जिरिबाम, तामेंगलोंग, उखरूल, टेंग्नौपाल, चुरचंदपुर, सदर हिल्स, चंदेल इम्फाल और कामजोंग सहित सभी शाखाओं के अध्यक्षों ने इस मुद्दे पर एक संयुक्त प्रतिनिधित्व प्रस्तुत किया है.

इसमें उन्होंने कहा है कि वो सरकार के किसी भी कुकी समुदाय को मान्यता प्राप्त अनुसूचित जनजातियों की सूची में से हटाने के 19 अक्टूबर, 2018 के फ़ैसले का विरोध करते हैं. उनका कहना है कि यह फ़ैसला हज़ारों लोगों को संविधान के तहत एक मान्यता प्राप्त अनुसूचित जनजाति के तौर पर मिलने वाले अधिकारों से वंचित करेगा.

संघटन ने अपनी चिट्ठी में यह भी कहा है कि कुकी जनजाति को मणिपुर में संविधान के अनुसार अनुसूचित जनजाति माना जाता है. कुकी जनजातियों को मणिपुर के अलावा, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त है.

संविधान के तहत मणिपुर में अनुसूचित जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त कई कुकी जनजातियाँ हैं. फ़िलहाल मणिपुर में 32 उप-जनजातियाँ हैं जो कुकी जनजाति का हिस्सा हैं.

चूंकि सभी कुकी जनजातियां अभी भी संविधान के तहत एक मान्यता प्राप्त अनुसूचित जनजाति है, राज्य सरकार का यह क़दम ग़लत माना जा रहा है.

छात्र निकाय ने सरकार से अपने कैबिनेट के फैसले को वापस लेने का आग्रह करते हुए कहा है कि कुकी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए संगठन आंदोलन करने को तैयार है.

2011 की जनगणना के अनुसार मणिपुर की कुल जनसंख्या 28 लाख से ऊपर है. इसमें 58.9% आबादी घाटी में रहती है, और 41.1% पहाड़ों में. पहाड़ियों पर मुख्य रूप से आदिवासी ही रहते हैं.

इनमें 33 मान्यता प्राप्त जनजातियाँ हैं, जो नागा या कुकि के अंतर्गत आती हैं. इन दोनों समुदायों की विशिष्ट बोली, पहनावा, संस्कृति और परंपराएं हैं.

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