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त्रिपुरा के शिविरों में रहने वाले आदिवासी प्रवासियों के मिजोरम उपचुनाव में मतदान को लेकर अनिश्चितता

मिजोरम की तुइरियल विधानसभा पर उपचुनाव 30 अक्टूबर को होंगे लेकिन इस बार त्रिपुरा में रह रहे मिजोरम की ब्रू जनजाति के लोगों के मतदान के लिए चुनाव आयोग और मिजोरम में चुनाव अधिकारी कोई विशेष व्यवस्था नहीं करेंगे, जैसा कि पिछले चुनावों में किया गया था.

ताकि 30 अक्टूबर को तुइरियाल विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनावों में त्रिपुरा में शरण लिए गए 36,140 आदिवासी प्रवासियों में से 663 मतदाताओं को वोट डालने की अनुमति मिल सके.

मिजोरम के संयुक्त मुख्य चुनाव अधिकारी डेविड एल पचुआउ ने कहा कि उन्हें अभी तक चुनाव आयोग से कोई निर्देश नहीं मिला है कि 1997 से उत्तरी त्रिपुरा में शरण लिए हुए रियांग आदिवासी मतदाताओं के लिए कोई विशेष व्यवस्था की जाए.

पचुआउ ने आईएएनएस को बताया, “अगर रियांग आदिवासी मतदाता दूसरे सामान्य मतदाताओं की तरह अपना वोट डालना चाहते हैं तो वे असम के साथ सीमा साझा करने वाले कोलासिब जिले के तुइरियाल विधानसभा क्षेत्र के तहत दो मतदान केंद्रों जोडिंग और होर्तोकी -2 में ऐसा कर सकते हैं.”

क्योंकि आदिवासी प्रवासी मिजोरम से जातीय परेशानियों के बाद वहां से निकलकर 24 साल पहले उत्तरी त्रिपुरा में सात राहत शिविरों में शरण लिए हुए थे. इसलिए चुनाव आयोग और मिजोरम चुनाव विभाग ने त्रिपुरा सरकार के सहयोग से मिजोरम-त्रिपुरा सीमा पर एक स्थान पर उनके लिए विशेष मतदान केंद्र स्थापित किए थे.

मिजोरम ब्रू डिसप्लेस्ड पीपुल्स फोरम (MBDPF) के महासचिव ब्रूनो माशा ने कहा कि उन्हें तुइरियाल विधानसभा उपचुनाव के बारे में अभी तक किसी प्राधिकरण से कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है.

शरणार्थी नेता ने फोन पर आईएएनएस से कहा, “अगर सरकार परिवहन की व्यवस्था करती है तो रियांग के मतदाता त्रिपुरा से मिजोरम में वोट डालने जाएंगे अन्यथा यह संभव नहीं है.”

जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) के विधायक एंड्रयू एच थंगलियाना के निधन के बाद तुइरियाल विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराना पड़ा.

डेविड एल पचुआउ के मुताबिक 9,095 महिला मतदाताओं सहित सभी 18,582 मतदाता उपचुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए योग्य हैं. तुइरियाल उपचुनाव के लिए चार उम्मीदवार मैदान में हैं. जिसमें सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट के के. लालदावंगलियाना, जेडपीएम के लालतलनमाविया, कांग्रेस के चालरोसंगा राल्ते और भाजपा के के. लालदिंथरा हैं.

दरअसल प्रभावशाली यंग मिज़ो एसोसिएशन सहित कई राजनीतिक दलों और नागरिक समाज निकायों ने उपचुनाव से पहले त्रिपुरा में रियांग आदिवासी प्रवासियों के लिए किसी विशेष व्यवस्था का कड़ा विरोध किया था और मिजोरम की चुनावी सूची से उनके नाम हटाने की मांग कर रहे थे क्योंकि वे स्थायी रूप से त्रिपुरा में बस जाएंगे.

केंद्र और त्रिपुरा सरकार ने त्रिपुरा के विभिन्न जिलों में 13 स्थानों पर 36,140 आदिवासी प्रवासियों के पुनर्वास के लिए 1,200 करोड़ रुपये की परियोजना शुरू की है. नवंबर 2019 में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब द्वारा स्थानीय रूप से “ब्रू” कहे जाने वाले रियांग आदिवासियों को स्वीकार करने और राज्य में उनका पुनर्वास करने के लिए सहमत होने के बाद यह समझौता हुआ.

पिछले साल जनवरी में समुदाय के प्रतिनिधियों, केंद्र और त्रिपुरा और मिजोरम की सरकारों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर के बाद कई विस्थापित ब्रू परिवारों को त्रिपुरा में नए घर मिले हैं. नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए समझौते के मुताबिक रियांग आदिवासियों को भी त्रिपुरा में मतदाता के रूप में शामिल किया जाएगा.

केंद्र ने त्रिपुरा में आदिम जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त रियांग आदिवासियों के बसने के लिए 600 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है. पैकेज में से 150 लाख रुपये त्रिपुरा सरकार को भूमि अधिग्रहण के लिए और बाकी इन आदिवासियों के कल्याण पर खर्च किया जाएगा.

(तस्वीर प्रतितात्मक है)

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