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आदिवासी बहुल जिलों में खेलों के लिए एक्सीलेंस सेंटर बनाने की योजना अभी तक तय नहीं- संसदीय पैनल

जनजातीय बहुल जिलों में इस साल के आखिर तक खेलों के लिए एक्सीलेंस के दो केंद्र स्थापित करने थे. लेकिन संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार आदिवासी बहुल जिलों में 15 प्रस्तावित सुविधाओं में से खेलों के लिए एक्सीलेंस के जो दो केंद्र अभी तक स्थापित नहीं हो सके हैं.

बल्कि कमेटी ने नोट किया है कि अभी तक उसके लिए स्थानों को भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है. संसदीय कमेंटी ने इस रिपोर्ट में परियोजना को संभालने में सरकार के रवैये की आलोचना की है.

दरअसल, जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने 2019 में कहा था कि वह आदिवासी बहुल इलाक़ों में साल 2022 तक एक्सीलेंस केंद्नों की स्थापना करेगा.

इस योजना के तहत 25 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जनजातियों की आबादी वाले 163 जनजातीय जिलों की पहचान की गई है.

जहां 2022 तक खेलों के लिए एक्सीलेंस के दो केंद्र स्थापित किए जाने हैं. 2018-19 और 2019-20 के दौरान ऐसे 15 केंद्र स्थापित किए जाने थे. लेकिन सरकार इस लक्ष्य से बहुत दूर खड़ी है.

एक्सीलेंस के इन केंद्रों का उद्देश्य एक चिन्हित व्यक्तिगत खेल और एक टीम खेल के लिए विशिष्ट अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराना है.

हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार आदिवासी बाहुल्य जिलों में प्रस्तावित ऐसी 15 सुविधाओं में से खेलों के लिए दो एक्सीलेंस सेंटर स्थापित करने के स्थान को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है.

क्योंकि इस मामले में प्रस्ताव सिर्फ छह राज्यों से प्राप्त हुआ है और बाकी के राज्यों को अब अपने प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है.

समिति सेंटर ऑफ एक्सीलेंस प्रोजेक्ट को संभालने में मंत्रालय के ढीले रवैये से खुश नहीं है.

संसदीय समिति ने महसूस किया कि अगर मंत्रालय को परियोजना की व्यवहार्यता की जांच करनी चाहिए थी. इसके अलावा सरकार को योजना शुरू करने से पहले राज्य सरकारों को विश्वास में लेना चाहिए था.

सरकार ने अगर यह काम किया होता तो एक्सीलेंस सेंटर स्थापित करने के लिए स्थान को अंतिम रूप देने में ऐसी बाधाएं नहीं आतीं. सामाजिक न्याय और अधिकारिता पर संसदीय समिति की रिपोर्ट सोमवार को लोकसभा में पेश की गई.

क्योंकि परियोजना बहुत प्रारंभिक चरण में है पैनल ने कहा कि यह दृढ़ता से मानता है कि अगर स्थानों को अंतिम रूप देने में और देरी हुई तो 5 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन कम हो सकता है.

समिति ने कहा, “समिति को बजट आवंटन में भी गंभीर कमियां दिखाई देती हैं. इसलिए पैनल ने मंत्रालय पर परियोजना में कमियों का आकलन करने के लिए दबाव डाला क्योंकि यह परियोजना सामान्य गति से आगे नहीं बढ़ रहा है. इसलिए उन्हें प्रारंभिक स्तर पर प्लग करें ताकि ये एक्सीलेंस सेंटर सुचारू रूप से आ सकें.”

समिति ने कहा कि वह चाहती है कि मंत्रालय परियोजना के प्रत्येक चरण को पूरा करने की समय सीमा तय करे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कम से कम दो लक्षित खेल केंद्र समयबद्ध तरीके से पूरे हों.

समिति ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले जनजातीय बेल्ट के एथलीटों के प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिए सर्वोत्तम सुविधाएं उपलब्ध कराने की तत्काल आवश्यकता है.

संसदीय कमेटी मंत्रालयों के काम की समीक्षा करने के बाद मंत्रालय को ज़रूरी फ़ीडबैक देती है. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की संसदीय कमेटी की रिपोर्ट इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण होती है कि यह मंत्रालय देश के वंचित तबकों से जुड़ा है.

लेकिन अफ़सोस की बात है कि जनजातीय कार्य मंत्रालय की तरफ़ से पेश एक्शन रिपोर्ट में वो गंभीरता नज़र नहीं आती है, जो होनी चाहिए.

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