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लोकसभा चुनाव आया तो आदिवासी गांव तक सड़क का पैसा भी मंजूर हो गया

तमिलनाडु (Tribes of Tamil Nadu) के धर्मपुरी  ज़िला (Dharmapuri District ) के एक गांव में आदिवासी लंबे समय से सड़को की मांग (Road connectivity) कर रहे थे. यह गाँव जंगलों के बीचों-बीच मौजूद है.

अब जब लोकसभा का चुनाव होने वाला है तो सालों की इस मांग पर हलचल देखने को मिली है.

पिछले साल अगस्त में अरसानातम गांव में रहने वाले आदिवासियों ने सड़क बनाने की मांग के समर्थन में प्रदर्शन किया था.

इस प्रदर्शन के दौरान उन्होंने बताया की गाँव के रास्ते पत्थर और कंकड़ो से भरे हुए है. ऐसे रास्तों में कोई वाहन तक नहीं जा सकता.

यहां गर्भवती महिला या बीमार व्यक्ति दोनों को ही डोली के सहारे कई किलोमीटर तक पैदल ले जाना पड़ता है.

अब सरकार की तरफ से सड़क बनाने के लिए 4.03 करोड़ आवंटित किए गए है. यह पैसा जंगल में पेड़ काटने के लिए दिए जा रहे हैं.

इसका मतलब ये है कि अब इस गांव तक सड़क बनाने का काम जल्दी शुरु हो पाएगा. इस सड़क के बनने से कम से कम 1000 लोगों को फ़ायदा होगा.

धर्मपुरी के संसाद, सेंथिल कुमार ने कहा की यह सड़क अन्य आदिवासी इलाकों के लिए भी मिसाल बन सकती है. क्योंकि अक्सर ब्लॉक में पैसों की कमी की वजह से जंगल में पेड़ कटाई की भरपाई का काम नहीं हो पाता है.

इस सड़क के अलावा एक तीसरी सड़क का पुननिर्माण भी किया जाएगा. जिसके लिए 1.74 करोड़ को मंजूरी दे दी गई है. यह सड़क राज्य के डिंडीगुल ज़िले में स्थित है.

इस सड़क को बनाने के लिए संबंधित सभी विभाग जैसे जिला वन अधिकारी, जिला प्रशासन, राज्य वन विभाग और केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा अनुमति मिल चुकी है. इसके अलावा निरीक्षण की सभी प्रक्रिया और पैसे आवंटित का कार्य भी पूरा हो चुका है.

यह भी पता चला है की ब्लॉक विभाग के अन्य कार्यो और वनीकरण के लिए सरकार के पास कोई धनराशि मौजूद नही हैं.

तमिलनाडु के धर्मपुरी ज़िले के इस आदिवासी गांव में सड़क का काम शुरू होने के संकेत निश्चित ही अच्छी ख़बर है.

लेकिन इस सड़क निर्माण की ख़बर से यह भी पता चलता है कि नौकरशाही और लालफीताशाही की वजह से जंगल में आदिवासी गांवों तक सड़क पहुंचाना कितनी लंबी प्रक्रिया है.

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