प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (PMGSY-IV) की शर्तें पहाड़ी क्षेत्रों में बसे जनजातीय जिलों के लिए परेशानी बन गई हैं. खासकर हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जैसे ज़िले इससे प्रभावित हैं.
इस योजना का उद्देश्य हर मौसम में सड़क सुविधा देना है. लेकिन इसके लिए कुछ न्यूनतम जनसंख्या मानदंड तय किए गए हैं. इन मानदंडों के कारण आदिवासी गांवो को काफ़ी असुविधा हो रही है.
PMGSY-IV का उद्देश्य
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2024-25 से 2028-29 की अवधि के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना- IV (PMGSY-IV) को स्वीकृति दी थी.
इसका लक्ष्य 62,500 किलोमीटर नई बारहमासी सड़कों की मदद से करीब 25000 गावों में संपर्क को बढ़ाना बताया गया था.
योजना के मानदंड़ो के अनुसार, मैदानी क्षेत्रों में 500 से अधिक आबादी वाले गांवों को इस परियोजना में शामिल किया गया है. वहीं कुछ विशेष इलाकों में, इन मानदंड़ो में छूट भी दी गई है.
पहाड़ी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, उत्तर-पूर्वी राज्यों और विशेष श्रेणी वाले क्षेत्रों जैसे अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों, रेगिस्तानी क्षेत्रों में 250 से अधिक आबादी वाले गांवों को इस योजना के तहत सड़कों से जोड़ने का प्रावधान है.
वहीं नक्सल प्रभावित 9 राज्यों के चिन्हित जिलों में 100 से अधिक आबादी वाले गांव भी इस योजना में शामिल हैं.
यह सभी मानदंड 2011 की जनगणना के आधार पर तय किए गए थे.
लाहौल-स्पीति की स्थिति
लाहौल-स्पीति हिमाचल के दूरदराज में स्थित एक जनजातीय ज़िला है. यहां के कई गांव छोटे और बिखरे हुए हैं.
भौगोलिक स्थिति और मौसम के कारण आबादी भी बहुत कम है. अधिकतर गांवों की जनसंख्या 250 से काफ़ी कम है.
आबादी 250 से भी कम होने के कारण ये क्षेत्र योजना के मानदंड़ो से बाहर है.
विधायक ने उठाई आवाज़
लाहौल-स्पीति की विधायक अनुराधा राणा ने इस नियम को अनुचित बताया है. उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों के लिए बाकी इलाकों जैसे मानदंड नहीं अपनाए जा सकते. इन क्षेत्रों में सड़क की ज़रूरत ज़्यादा है लेकिन आबादी कम होने के कारण ये गांव योजना से बाहर हो रहे हैं.
उन्होंने विधानसभा में भी यह मुद्दा उठाया. साथ ही राज्य सरकार से अपील की कि वह केंद्र से इस विषय में विशेष छूट मांगे.
PWD मंत्री ने ज़ाहिर की चिंता
राज्य के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी इस विष्य में चिंता ज़ाहिर की है.
उन्होंने कहा कि योजना के वर्तमान नियम कई क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं लेकिन लाहौल-स्पीति जैसे इलाकों के लिए इनमें बदलाव की ज़रूरत है.
मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है. केंद्र सरकार से अपील की जा सकती है कि वह जनजातीय जिलों को विशेष श्रेणी में रखे और अतिरिक्त छूट का प्रावधान करे.
लाहौल-स्पीति जैसे कम जनसंख्या वाले कई जनजातीय इलाकों में सड़क न होने से स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार की सुविधाएं सीमित रह जाती हैं.
जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए यह जरूरी है कि योजनाओं में लचीलापन हो.
जनजातीय क्षेत्रों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जरूरी है कि जनसंख्या मानदंड में छूट दी जानी चाहिए.
Image is for representation purpose only.