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शिवराज सरकार ने खेला बड़ा दांव, 89 आदिवासी ब्लॉक में ‘राशन आपके द्वार’ योजना मंजूर

मध्य प्रदेश में जैसे-जैसे चार उपचुनावों के लिए मतदान की तारीख नजदीक आ रही है राज्य के दोनों प्रमुख दलों के नेता लोगों से वोट मांगने के लिए कई बड़े दांव खेले जा रहे हैं और वादे के साथ कई दावे किए जा रहे हैं. इस बीच शिवराज सरकार ने उपचुनाव से पहले बड़ा सियासी दांव खेला है.

दरअसल शिवराज सरकार राज्य के 23 लाख से ज्यादा आदिवासी परिवारों को बड़ा तोहफा देने जा रही है. शिवराज कैबिनेट ने मंगलवार को प्रदेश के 89 आदिवासी ब्लॉक (विकासखंड) में ‘राशन आपके द्वार’ योजना को मंजूरी दे दी है. यह योजना फिलहाल उपचुनाव वाले क्षेत्रों में आचार सहिंता लागू होने के कारण शुरू नहीं होगी.

राज्य में इस योजना का लाभ 23.80 लाख परिवारों को मिलने वाला है. योजना में काम करने वाले व्यक्ति को हर महीने प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी. वहीं अन्य खर्चों के लिए भी अलग से राशि दी जाएगी. साथ ही आदिवासियों को उचित मूल्य राशन की दुकानों से गांवों तक खाद्यान्न पहुंचाने के लिए लोन उपलब्ध कराकर वाहन खरीदे जाएंगे. सरकार ब्याज सबवेंशन के साथ प्रोत्साहन भी देगी.

कैबिनेट निर्णय के मुताबिक गांवों तक राशन सामग्री पहुंचाने के लिए आदिवासी युवाओं के वाहन किराए पर लिए जाएंगे. इन वाहनों को खरीदने के लिए युवाओं को को बैंक से लोन भी दिलाया जाएगा. इसके साथ ही प्रोत्साहन राशि और ब्याज अनुदान भी सरकार देगी. 10 हजार रुपए वाहन मालिक को देने के अलावा अन्य खर्च के लिए करीब 16 हजार रुपए दिए जाएंगे.

योजना के तहत 15-15 गांवों के क्लस्टर बनाए जाएंगे. दूरी के हिसाब से वाहनों को राशन दुकानें आवंटित की जाएंगी. कहा जा रहा है कि 500 से ज्यादा युवाओं को योजना में लाभ मिलेगा और इससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी.

इसके अलावा सरकार ने सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिए कंपनियों को 20 हज़ार 700 करोड़ रुपए बतौर सब्सीडी देने का निर्णय लिया है. इसमें 15 हजार 700 करोड़ किसानों और 5 हजार करोड़ रुपए की सब्सीडी घरेलू उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के एवज में सरकार वहन करेगी.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में तय किया है कि अलग-अलग श्रेणी के किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने 20,700 करोड़ की सब्सिडी सरकार देगी. उन्होंने कहा कि बिजली की आपूर्ति बाधित नहीं होना चाहिए. इसके लिए बिजली कंपनी को सहायता की आवश्यकता थी.

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