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मध्य प्रदेश: आदिवासी बहुल जिलों में 1200 करोड़ की लागत से खुलेंगे 6 नए मेडिकल कॉलेज

आदिवासी वोट बैंक को साधने के लिए शिवराज सरकार ने एक और फैसला किया है. मध्य प्रदेश में 6 और नए मेडिकल कॉलेज खुलेंगे. ये सभी मेडिकल कॉलेज प्रदेश के आदिवासी बहुल और पिछड़े इलाकों मंडला, सिंगरौली, राजगढ़, श्योपुर, नीमच और मंदसौर में खोले जा रहे हैं. इन्हें मिलाकर अब मध्य प्रदेश में कुल 20 सरकारी मेडिकल कॉलेज हो जाएंगे.

सरकार ने प्रदेश में 6 नए मेडिकल कॉलेज खोलने के प्रस्ताव को अपनी हरी झंडी दिखा दी है. भोपाल में हाल ही में हुई शिवराज कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दे दी. कैबिनेट ने इन नए मेडिकल कॉलेजों के लिए 1200 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं.

मंडला के लिए 249.63 करोड़ रुपए, सिंगरौली के लिए 258.07 करोड़, श्योपुर के लिए 256.83 करोड़ रुपए, राजगढ़ के लिए 256.55 करोड़ रुपए, नीमच के लिए 253.7 करोड़ रुपए और मंदसौर के लिए 270.59 करोड़ रुपए राशि मंजूर की गई है.

यह जानकारी सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया को दी. नरोत्तम मिश्रा ने 6 नए मेडिकल कॉलेज खोलने की जानकारी देते हुए कहा कि आजादी के बाद से शिवराज सरकार बनने तक कांग्रेस सरकार में सिर्फ 5 मेडिकल कालेज ही थे, शिवराज सरकार में इसकी संख्या 20 हो गई है.

उन्होंने कहा कि मंडला, श्योपुर, मंदसौर यह जनजातीय बहुल जिले हैं, जहां मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे. उस क्षेत्र के और उस समुदाय के विकास की दृष्टि और उन्नति की दृष्टि से यह निर्णय लिए गए हैं.

मेडिकल डायलॉग्स ने हाल ही में बताया था कि मध्य प्रदेश राज्य मंत्रिमंडल ने मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए महू नसीराबाद रोड पर कनावती के पास 97,452 वर्ग मीटर खाली भूमि के आवंटन को अपनी मंजूरी दे दी थी.

लोकसभा के समक्ष स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में वर्तमान में कुल 23 मेडिकल कॉलेज हैं. इनमें से 14 मेडिकल कॉलेज सरकार द्वारा और 9 मेडिकल कॉलेज निजी प्रबंधन द्वारा चलाए जा रहे हैं.

वहीं मध्य प्रदेश में कुल 3585 एमबीबीएस सीटें हैं और उनमें से 2135 एमबीबीएस सीटें सरकारी संस्थानों में हैं और अन्य 1450 एमबीबीएस सीटें 9 निजी मेडिकल कॉलेजों की हैं.

इसके अलावा बैठक में प्रदेश सरकार ने बच्चियों से दुष्कर्म पर फांसी की सजा देने के विधेयक को वापस ले लिया है. वजह है कि इसमें किए गए सभी प्रावधानों को केंद्र सरकार ने केंद्रीय अधिनियम दंड विधि (संशोधन) अधिनियम 2018 में शामिल कर लिया था.

जबकि मध्य प्रदेश सरकार विधानसभा में पारित विधेयक मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा था. क्योंकि यह कानून पूरे देश में लागू हो चुका है इसलिए केंद्र सरकार ने अब राज्य के विधेयक को वापस लेने का अनुरोध किया था.

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