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पानी की शिकायत करने पर मंत्री ने आदिवासियों से कहा, ‘किसने कहा तुमसे की यहां रहो?’

जब हमें कोई दिक्कत आती है, तो हम ऐसे इंसान के पास जाते हैं जिसके पास इसका समाधान हो. या कम से कम हमें जिससे उम्मीद है कि वो हमारी बात सुनकर, समझकर हमें रास्ता बताए.

अगर यह दिक्कत पीने के पानी की हो तो ज़ाहिर है अधिकारी से शिकायत की जाएगी. लेकिन आप क्या करेंगे अगर वो अधिकारी कोई समाधान बताने के बजाय आपसे यह पूछे कि आप वहां रहते ही क्यों हैं?

मध्य प्रदेश के धार ज़िले के आदिवासियों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. एक लंबे समय से गंदा पानी पीने को मजबूर इन आदिवासियों ने शिवराज सिंह चौहान सरकार में पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर से इसकी शिकायत की.

आदिवासियों से बात करती मंत्री उषा ठाकुर

कुछ समय पहले अज्ञात लोगों ने अजनार नदी में कथित तौर पर रसायन फेंका, जिससे करम नदी भी प्रदूषित हो गई. इसका पानी लाल रंग का हो गया. कुछ दिन पहले जब ठाकुर इलाके में थीं, स्थानीय आदिवासियों ने उनसे मुलाकात की और साफ़ पानी न मिलने की बात उनके सामने रखी.

उनकी पीड़ा समझना या उनकी समस्या का समाधान ढूंढना तो दूर, जवाब में मंत्री ने उनसे पूछा कि वह ऐसे असामान्य स्थान पर रहते ही क्यों हैं. मंत्री ने इन आदिवासियों से कहा कि उन्होंने वहां बसने से पहले इन समस्याओं के बारे में क्यों नहीं सोचा.

मंत्री उषा ठाकुर शायद यह भूल गईं कि आदिवासी कई दशकों से उसी जगह पर रह रहे हैं. आदिवासियों ने भी मंत्री को बताया कि यह ज़मीन उनके पूर्वजों ने चुनी, और वो वहां पीढ़ियों से रह रहे हैं.

मंत्री ने जवाब दिया, “आप लोगों ने असुविधा से भरी जगह को चुना है, किसी ने भी आपको यहां रहने के लिए नहीं कहा था.”

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ है. आदिवासी संगठनों ने मंत्री उषा ठाकुर को बर्खास्त करने की मांग की है, और ऐसा न होने पर आंदोलन की धमकी दी है.

(नदी का फ़ोटो प्रतीकात्मक है)

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