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मध्य प्रदेश: झाबुआ के कन्या आदिवासी आश्रम में बच्चियों से छेड़छाड़

मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से एक आदिवासी आश्रम में बच्चियों से छेड़छाड़ का कथित मामला सामने आया है. वार्डन इंदिरा परमार और चौकीदार मांगीलाल पर आरोप लगे हैं. बाल आयोग की जांच में पता चला है कि यह सब काफी समय से चल रहा था.

जब बच्चियां ने 181 पर शिकायत की तो वार्डन ने उन्हें धमकी दी. बाल आयोग सदस्य ओमकार सिंह को शिकायत मिली थी.

जांच में पता चला है कि बच्चियों को छूना यानी बेड टच और उनके साथ अभद्र व्यवहार काफी समय से हो रहा था. बच्चियां चौकीदार मांगीलाल की हरकतों से परेशान हो गईं थी. जब उन्होंने वार्डन से इस बारे में बताया तो वार्डन ने बच्चियों को धमकाया.

मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग (MPCPCR) ने झाबुआ के एक आश्रम में आदिवासी लड़कियों के यौन शोषण के मामले में झाबुआ जिला कलेक्टर को आदिवासी कल्याण विभाग की सहायक आयुक्त निशा मेहरा और छात्रावास वार्डन इंदिरा परमार के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज करने को कहा है.

आयोग के सदस्य ओमकार सिंह ने सोमवार को इस संबंध में झाबुआ कलेक्टर तन्वी हुडा को पत्र लिखा है. सिंह के मुताबिक सहायक आयुक्त निशा मेहरा को 23 फरवरी को निलंबित कर दिया गया था.

वह झाबुआ जिले के राणापुर के कंजावानी विकासखंड स्थित आदिवासी सीनियर कन्या छात्रावास में चौकीदार मांगीलाल द्वारा आदिवासी लड़कियों के यौन शोषण की जांच के लिए गठित जांच दल की प्रमुख थीं.

जांच में वार्डन इंदिरा परमार भी दोषी पाई गईं. सिंह ने कहा कि उन पर दो तरह के आरोप लगाये गए हैं. एक तो मारपीट और दूसरा यह जानते हुए भी कि चौकीदार मांगीलाल पर आरोप लगे हैं लेकिन फिर भी उसे बचाया.

सिंह ने कहा, “दोनों ने एक गंभीर अपराध छुपाया. यह यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम की धारा 19 का उल्लंघन है. इसलिए दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए. उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए.”

दरअसल, झाबुआ के शासकीय आदिवासी कन्या आश्रम में राज्य बाल आयोग के निरीक्षण के बाद यौन शोषण का मामला सामने आया था. आयोग को शिकायत मिली तो आयोग और बाल कल्याण समिति के सदस्यों ने शुक्रवार को छात्रावास का दौरा किया

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