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मध्य प्रदेश: जबलपुर में आदिवासी गाँव की बिजली काटी गई, एक महीने से ज़्यादा हुआ

मध्य प्रदेश के जबलपुर के शाहपुरा जिले के अमझर, जामन्हा, चिरापोडी गांव के आदिवासी बिजली की किल्लत से जूझ रहे हैं. वो पिछले एक माह से गांव में बिना बिजली के रह रहे हैं. कहा जा रहा है कि बिजली बिल का भुगतान नहीं होने से पूरे गांव का बिजली कनेक्शन काट दिया गया.

स्थानीय निवासी भगवान दास का कहना है कि पहले बिजली का बिल सौ रुपये के आसपास आता था लेकिन अब यह बढ़कर हजारों रुपये हो गया है. उन्होंने कहा कि लोगों को कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं दी गई लेकिन उनसे अधिक मात्रा में बिजली बिल वसूल किए गए.

एक अन्य निवासी संतराम ठाकुर का कहना है कि क्षेत्र में बिजली कैसे बहाल हो यह देखने के लिए जिम्मेदार अधिकारी भी क्षेत्र का दौरा नहीं कर रहे हैं. उनके पास एक ही जवाब है कि बिल भुगतान नहीं मिला.

अंधेर में जीने को मजबूर हैं आदिवासी

ठाकुर का कहना है कि 40 से 50 फीसदी ग्रामीणों ने अपने बिलों का भुगतान कर दिया है. बिल का भुगतान नहीं करने वालों के खिलाफ सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए. लेकिन बिजली बोर्ड ने पूरे गांव की बिजली काट दी है.

क्षेत्र में गर्मी के चलते ग्रामीण बीमार हो रहे थे और वो मदद के लिए एम्बुलेंस को कॉल भी नहीं कर सकते थे क्योंकि बिजली न होने की वजह से उनके फोन डिस्चार्ज हो गए थे.

दोजा बाई नाम की एक महिला ने कहा कि वह सूर्यास्त से पहले अपना खाना बनाती हैं नहीं तो उन्हें मिट्टी के तेल का दीपक जलाना पड़ता है.

इस बीच बरगी विधानसभा के कांग्रेस विधायक संजय यादव ने कहा कि शिवराज सरकार राज्य में काम का प्रबंधन करने में विफल रही है. बिजली बिल और पानी की किल्लत से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. संजय ने कहा कि बिजली विभाग गरीब किसानों के बढ़े हुए बिल बनाता है और जमा नहीं कर पाता तो पूरे गांव की बिजली काट देता है.

संजय यादव ने आगे कहा कि कुप्रबंधन के कारण किसान और आम आदमी को परेशानी हो रही है. मध्य प्रदेश आपातकाल की ओर बढ़ रहा है. शिवराज जी की सरकार प्रदेश में सरकार चलाने में विफल रही है. संजय ने कहा कि उन्हें तुरंत पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.

वहीं जब मीडिया ने इस मामले को लेकर बिजली विभाग के अधिकारियों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की. कोई भी अधिकारी बिजली कटौती के बारे में बात नहीं करना चाहता था.

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