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मध्य प्रदेश: गुना में जिंदा जलाई गई आदिवासी महिला की मौत हुई

मध्य प्रदेश के गुना जिले में भूमि विवाद को लेकर कथित तौर पर दबंगों द्वारा ज़िंदा जलाकर मारने के प्रयास में बुरी तरह झुलसी आदिवासी महिला ने छह दिन तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करने के बाद शुक्रवार को भोपाल के हमीदिया अस्पताल में दम तोड़ दिया.

गुना के एसपी पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि डॉक्टरों ने शाम को महिला की मौत की पुष्टि की और अब उसका पोस्टमार्टम किया जा रहा है.

ग्वालियर रेंज के एडीजी डी श्रीनिवास वर्मा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि दो महिलाओं सहित छह आरोपियों में से पांच को गिरफ्तार कर लिया गया है और बाकी एक की गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं. अब सभी आरोपियों पर हत्या का मुकदमा चलेगा.

38 वर्षीय महिला को 80 फीसदी जलने के बाद गंभीर हालत में भोपाल रेफर किया गया था. उसने डॉक्टरों को बताया था कि गांव के तीन लोगों ने उस पर डीजल डाला और आग के हवाले कर दिया था. उसने तीनों का नाम प्रताप, हनुमत और श्याम किरार बताया था. बाद में और नाम भी बताए थे.

वहीं आरोपी ने दावा किया कि महिला ने आत्मदाह करने की कोशिश की और जब उन्होंने उसे देखा तो पहले से ही आग की लपटों में थी.

दरअसल इस घटना के एक वीडियो में,कुछ पुरुषों को यह कहते हुए सुना जाता है, “चलो एक वीडियो लेते हैं, उसने खुद को आग लगा ली है.”

पुलिस का कहना है कि उनके लिए इस मामले में हत्या और ‘आत्महत्या’ में अंतर करना बहुत मुश्किल होगा.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “जो कुछ भी है, कानूनी रूप से अर्जुन और रामप्यारी के नाम पर स्थानांतरित होने के बाद आरोपी को जमीन पर नहीं जाना चाहिए था. यह एक आधा-अधूरा वीडियो है जो यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि उसने आत्मदाह कर लिया था.”

अर्जुन ने पुलिस को बताया कि शनिवार को जब वह खेत पर जा रहा था तो उसने देखा कि तीनों आरोपी ट्रैक्टर से भाग रहे हैं. उसने अपने खेत से धुंआ उठता देखा और उसकी ओर दौड़ा, वहां सिर्फ रामप्यारी को आग की लपटों में दिखी.

पुलिस ने कहा कि आरोपी ने पहले अर्जुन की छह बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया था. मामला तहसीलदार कोर्ट में सुलझा और अर्जुन को जमीन वापस कर दी गई थी. हालांकि शनिवार को तीनों आरोपियों ने अर्जुन के खेत की जुताई शुरू कर दी. शिकायत के मुताबिक, रामप्यारी दौड़कर खेत में गई और उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कथित तौर पर उस पर डीजल डाला और उसे आग के हवाले कर दिया.

सहरिया जनजाति की रामप्यारी बाई और उसके पति अर्जुन घटना से कुछ दिन पहले पुलिस के पास यह कहते हुए गए थे कि उन्हें अपनी जान का डर है क्योंकि गांव के कुछ दबंग लोग उनकी खेती की जमीन हड़पना चाहते हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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