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धनगर समुदाय का भूख हड़ताल जारी, आदिवासी विधायकों ने ST कोटा बांटने का विरोध किया

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा धनगर समुदाय के सदस्यों को आश्वासन दिए जाने के एक दिन बाद कि उनकी सरकार मौजूदा कानूनी ढांचे के तहत उन्हें अनुसूचित जनजाति (ST) श्रेणी में शामिल करने के लिए सकारात्मक कदम उठाएगी.

धनगर समुदाय के छह व्यक्तियों द्वारा अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल सोमवार को आठवें दिन भी जारी रही.

वहीं एसटी समुदाय के नेताओं ने सरकार से उनके कोटे में छेड़छाड़ न करने को कहा है.

आदिवासी समुदाय से आने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के विधायक नरहरि ज़िरवाल ने इस तरह के किसी भी कदम का खुलकर विरोध किया है और मुख्यमंत्री से एसटी समुदाय के नेताओं के साथ बैठक बुलाने का अनुरोध किया है.

एनसीपी सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन का हिस्सा है.

नासिक में आदिवासी बहुल डिंडोरी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले ज़िरवाल ने कहा, “हमारे अभिभावक के रूप में हम चाहते हैं कि सरकार हमें बुलाए और बताए कि क्या इस मांग से हमारे आरक्षण पर असर पड़ेगा, क्योंकि हम अपना कोटा साझा नहीं करना चाहते हैं. सरकार उनके लिए अलग कोटा दे सकती है लेकिन हमारे कोटे से आरक्षण पाने की जिद सही नहीं है.”

एनसीपी विधायक ने यह भी बताया कि सरकार ने धनगर समुदाय के लिए 13 कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं और यहां तक ​​कि एक स्वतंत्र निगम का गठन भी किया है, जिसके लिए 1,000 करोड़ रुपये का कोष दिया गया है.

उन्होंने कहा, “गरीबों को मदद की जरूरत है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जो हमारा है, उसे लेने से ही उनकी स्थिति सुधर जाएगी.”

पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा क्षेत्र के चरवाहा समुदाय धनगर 1955 से एसटी श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग कर रहे हैं. यह समुदाय वर्तमान में घुमंतू जनजातियों की श्रेणी में शामिल है, जो सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 3.5 फीसदी आरक्षण के लिए पात्र है. एसटी श्रेणी में शामिल होने से उनका आरक्षण कोटा 7 फीसदी हो जाएगा.

पिछले साल जब धनगरों ने आरक्षण की अपनी मांग को तेज़ किया था तो यह नरहरि ज़िरवाल ही थे जिन्होंने सभी आदिवासी विधायकों को एक साथ लाया और सरकार पर कोई भी निर्णय लेने के खिलाफ दबाव डाला. इस बार वे चाहते हैं कि मुख्यमंत्री आदिवासी नेताओं के साथ बैठक करें.

जिरवाल ने कहा, “वह ऐसा करेंगे क्योंकि दोनों समुदायों के बीच अनावश्यक रूप से तनाव बढ़ने की संभावना है.”

एनसीपी के एक अन्य आदिवासी विधायक किरण लाहमटे ने भी धमकी दी कि अगर राज्य सरकार ने धनगरों की मांग स्वीकार कर ली तो वे उग्र आंदोलन करेंगे. उन्होंने कहा, “हम आदिवासी समुदाय के आरक्षण को प्रभावित नहीं होने देंगे.”

धनगर समुदाय के छह लोग दीपक बोराटे, योगेश धरम, विजय तमनार, मौली हरनवाल, गणेश केसकर और यशवंत गायके 9 सितंबर से पंढरपुर में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं.

इनका भूख हड़ताल खत्म करवाने के लिए मुख्यमंत्री शिंदे ने रविवार को धनगर नेताओं के साथ बैठक की और उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी मांग को पूरा करने के लिए सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे.

सीएम शिंदे ने यह भी कहा कि धनगर समुदाय की आरक्षण मांग पर विचार करने के लिए पिछले साल भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी सुधाकर शिंदे के नेतृत्व में गठित नौ सदस्यीय अध्ययन समूह को जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया जाएगा.

पैनल को तीन राज्यों- मध्य प्रदेश, बिहार और तेलंगाना द्वारा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए लागू किए गए कानूनों और तरीकों का अध्ययन करने का काम सौंपा गया था.

इस बीच, प्रदर्शनकारी अपने रुख पर अड़े हुए हैं और उन्होंने हड़ताल खत्म करने से इनकार कर दिया है.

अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के नेता प्रकाश शेंडगे और भाजपा एमएलसी गोपीचंद पडलकर ने पंढरपुर में प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और उनसे आंदोलन वापस लेने का अनुरोध किया, लेकिन उन्हें प्रदर्शनकारियों की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली.

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