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अपनी मांगों को लेकर मंबई कूच कर रहे आदिवासी और किसान, सरकार करेगी एक और दौर की बातचीत

महाराष्ट्र (Maharashtra) की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) की ओर हजारों आदिवासी किसान अपनी मांगों को लेकर बढ़ रहे हैं. इस बीच महाराष्ट्र सरकार आज इन हजारों किसानों और आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत का एक और दौर आयोजित करने के लिए तैयार है.

किसान मार्च का नेतृत्व पूर्व विधायक जीवा गावित कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार किसानों के साथ बातचीत के लिए तैयार हो गई है.

किसानों के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, संबंधित मंत्रियों और राज्य के शीर्ष अधिकारियों के साथ बातचीत की जाएगी. उत्तरी महाराष्ट्र के नासिक जिले से मुंबई की ओर बढ़ रहे किसानों और आदिवासियों के ठाणे जिले में प्रवेश करने के बाद मंत्री दादा भुसे और अतुल सावे ने बुधवार देर रात किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी.

पूर्व विधायक जीवा गावित ने कहा कि मंत्रियों ने गुरुवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठक के लिए किसानों और आदिवासियों के प्रतिनिधिमंडल को आमंत्रित किया है.

गावित ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने हमारी हमारी 40 प्रतिशत मांगों पर प्रतिक्रिया जाहिर की है. उन्होंने कहा कि हमें दिए गए निमंत्रण का सम्मान करते हुए हम बैठक में शामिल होने जा रहे हैं.

किसान संगठनों ने कहा है कि अगर सरकार की प्रतिक्रिया असंतोषजनक रही तो मार्च जारी रहेगा. जीवा गावित ने यह भी कहा है कि बुधवार रात हुई बैठक में मंत्री उनकी कुछ मांगों को लेकर सकारात्मक रहे. हालांकि निर्णय राज्य सचिवालय में लिए जाएंगे.

क्यों विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?

प्रदर्शनकारियों ने अलग-अलग मांगों को लेकर रविवार को मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर नासिक जिले के डिंडोरी शहर से अपनी पदयात्रा शुरू की थी. उनकी मांगों में प्याज की खेती करने वाले किसानों को तत्काल 600 रुपये प्रति क्विंटल की वित्तीय राहत देना शामिल है. किसान 12 घंटे तक निर्बाध बिजली की मांग कर रहे हैं. किसानों की मांग है कि उनका लोन माफ किया जाए.

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