Site icon Mainbhibharat

नासिक में आदिवासी संगठन पिछले 40 दिनों से कर रहे विरोध प्रदर्शन, शिक्षकों के लिए स्थायी नौकरियों की मांग

महाराष्ट्र के नासिक स्थित ट्राइबल कमिश्नर ऑफिस के सामने पिछले 40 दिनों से आदिवासी संगठनों और शिक्षकों का एक बड़ा विरोध प्रदर्शन चल रहा है.

सोमवार को आदिवासी विकास आयुक्तालय के सामने उलगुलान मार्च निकाला गया. इस विरोध प्रदर्शन में राज्य भर के आदिवासी और जनजातीय संगठनों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया.

राज्य के आदिवासी आश्रम विद्यालयों में कार्यरत तीसरी और चौथी कक्षा के दैनिक वेतनभोगी शिक्षकों ने बाहरी स्रोतों से शिक्षक भर्ती के सरकारी प्रस्ताव (GR) को रद्द कर उन्हें बहाल करने की मांग की है.

सरकार के साथ बैठक में कोई समाधान न निकलने पर प्रदर्शनकारी आक्रामक हो गए हैं.

राज्य भर के आदिवासी संगठनों और आदिवासी नेताओं ने इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया है और आदिवासी आयुक्त कार्यालय के सामने धरना शुरू कर दिया है.

आश्रम विद्यालयों में 1 हज़ार 791 शिक्षकों के पदों को बाहरी स्रोतों से भरने के फैसले के खिलाफ यह विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गया है.

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि सरकार ने उनकी मांगों को नज़रअंदाज़ कर दिया है और उनकी मुख्य मांग दैनिक वेतनभोगी शिक्षकों को स्थायी रूप से सेवा में शामिल करने की है.

इससे पहले, कुछ प्रदर्शनकारियों ने आदिवासी विकास भवन में घुसने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया.

प्रदर्शन के दौरान बेहोश होने पर कुछ महिलाओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया. पिछले 40 दिनों से प्रदर्शनकारी बारिश में भी अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं और उन्हें कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

प्रदर्शनकारियों ने सरकार को अपनी माँगें मानने के लिए एक समय सीमा दी थी लेकिन अभी तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया है.

आदिवासी नेताओं और ठेका मज़दूरों ने सरकार पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है और माँगें पूरी न होने तक विरोध प्रदर्शन तेज़ करने की चेतावनी दी है.

ज़िला प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया है. प्रशासन यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह सतर्क है कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे.

स्थानीय लोगों और प्रदर्शनकारियों से प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की गई है.

सैकड़ों यूनियन मेंबर 8 जुलाई से नासिक स्थित आदिवासी विकास आयुक्तालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं और आश्रमशालाओं में शिक्षकों की भर्ती बंद करने की मांग कर रहे हैं. क्योंकि कॉन्ट्रैक्चूअल टिचर आठ से दस साल से काम कर रहे हैं.

लेकिन अभी तक सरकार ने प्रदर्शनकारियों की मांगों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.

Exit mobile version