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मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, बिष्णुपुर में सेना की कार्रवाई में 17 घायल, इंफाल घाटी में फिर से लगा कर्फ्यू

मणिपुर में हिंसा (Manipur Violence) के तीन महीने पूरे हो गए हैं लेकिन यहां हालात अब भी सामान्य नहीं हुए हैं. राज्य में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. एक बार फिर राज्य के बिष्णुपुर में हिंसा भड़क गई है. यहां ताबड़तोड़ गोलीबारी की घटना सामने आई है.

अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार को बिष्णुपुर जिले के कांगवई और फोउगाकचाओ इलाके में सेना और आरएएफ जवानों द्वारा आंसू गैस के गोले दागे जाने से हुई झड़प में कुल मिलाकर 17 लोग घायल हो गए हैं.

अधिकारियों ने बताया कि इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम के जिला मजिस्ट्रेट ने कर्फ्यू में दी गई ढील को वापस ले लिया है और एहतियात के तौर पर आज पाबंदियां लागू की है. इंफाल घाटी में रात्रिकालीन कर्फ्यू पहले ही लागू है.

बिष्णुपुर जिले में सुबह से ही तनाव का माहौल है क्योंकि हजारों स्थानीय लोग सुरक्षा बलों की आवाजाही को रोकने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं.

महिलाओं के नेतृत्व में स्थानीय लोगों ने सेना और आरएएफ कर्मियों द्वारा लगाए गए बैरिकेड को पार करने की कोशिश की और मांग की कि उन्हें अंत्येष्टि स्थल तुइबुओंग तक जाने की अनुमति दी जाए.

दरअसल, बिष्णुपुर में एक बफर जोन बनाया गया है, मैतेई प्रदर्शनकारी महिलाएं उस बफर जोन को पार करने की कोशिश कर रही थीं. इस दौरान ही असम राइफल्स ने उन्हें रोकने की कोशिश की.

इसके बाद लोगों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया. सशस्त्र बलों ने पहले मिर्च का स्प्रे कर भीड़ को रोकने की कोशिश की लेकिन भीड़ शांत नहीं हुई. इसके बाद सुरक्षाबलों को हवाई फायरिंग करनी पड़ी.

कुकी समुदाय के 35 शवों को सामूहिक रूप से दफनाने की योजना स्थगित

झड़पों से कुछ घंटे पहले मणिपुर की जातीय हिंसा में मारे गए कुकी-ज़ोमी लोगों को सामूहिक रूप से दफनाने की योजना को राज्य के हाई कोर्ट ने गुरुवार सुबह चुराचांदपुर जिले में प्रस्तावित अंत्येष्टि स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिए जाने के बाद रोक दिया गया.

कुकी-जो समुदाय का संगठन ‘इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम’ (आईटीएलएफ) ने भी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अनुरोध के बाद अंत्योष्टि कार्यक्रम पांच दिन के लिए सर्शत स्थगित करने पर समहत हो गया. उन्होंने कहा कि वह बिष्णुपुर की सीमा पर चुराचांदपुर जिले के हाओलाई खोपी गांव में स्थल पर 35 लोगों को दफनाने को स्थगित कर रहा है.

आईटीएलएफ ने कहा, “हमने एक नए घटनाक्रम के कारण कल रात से सुबह चार बजे तक बैठक की. गृहमंत्रालय ने हमसे अंत्योष्टि कार्यक्रं पांच और दिन स्थगित करने का अनुरोध किया और अगर हम इस आग्रह को स्वीकार करते हैं तो हमें उसी स्थान पर अंतिम संस्कार करने की अनुमति मिल जाएगी और सरकार उसे इस काम के लिए वैध बना देगी. मिजोरम के मुख्यमंत्री ने भी ऐसा ही अनुरोध किया था.”

3 मई को पहली बार हुई थी हिंसा

मणिपुर में 3 मई को सबसे पहले जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी. मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया था. इसी दौरान पहली बार कुकी और मैतेई समुदाय के बीच झड़पें हुईं और इसके बाद से शुरू हुई हिंसा अबतक नहीं थमी है.

हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और हजारों लोग घायल हो गए. 60 हज़ार से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं और राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं.

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