मणिपुर में हिंसा से बेघर हुए लोगों के घर लौटने की चाह में एक महीने तक चले विरोध प्रदर्शन के एक दिन बाद राज्य सरकार ने उनके पुनर्वास और फिर से बसाने के लिए हाई-लेवल पैनल बनाए.
मणिपुर सरकार ने राज्य और ज़िला लेवल की कमेटियां बनाई है. सरकार ने एक बयान के ज़रिए पैनल बनाने की घोषणा की.
सरकार ने यह घोषणा ऐसे समय में की है जब विस्थापित परिवारों ने एक महीने लंबा विरोध प्रदर्शन शुरू किया है, जिसमें वे अपने मूल घरों में इस महीने के भीतर पुनर्वास की मांग कर रहे हैं.
दरअसल, मई 2023 में आदिवासी कुकी-ज़ो और गैर-आदिवासी मैतेई समुदायों के बीच हुए जातीय संघर्ष में 260 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई और 62 हज़ार लोग बेघर हो गए. करीब 58 हज़ार अंदरूनी तौर पर विस्थापित लोग (IDPs) अभी भी राहत कैंपों में रह रहे हैं.
सरकार ने सोमवार (1 दिसंबर, 2025) को बयान में कहा है कि कमेटियों का गठन सरकार के इस वादे को दिखाता है कि वह स्थिरता बहाल करने और प्रभावित परिवारों की मदद करने के लिए एक कोऑर्डिनेटेड, रिस्पॉन्सिव और लोगों को ध्यान में रखकर काम करने का तरीका अपनाएगी.
पैनल को उन सिस्टम से जुड़े मुद्दों को सुलझाने का भी काम सौंपा गया है जो पूरे राज्य में पुनर्वास की कोशिशों की पूरी तरक्की पर असर डाल सकते हैं.
स्टेट लेवल कमेटी को चीफ सेक्रेटरी हेड करेंगे. फाइनेंस, होम, और रूरल डेवलपमेंट और पंचायती राज के कमिश्नर, स्पेशल या एडिशनल सेक्रेटरी (होम) के संयोजक के तौर पर पॉलिसी डायरेक्शन देंगे. डिस्ट्रिक्ट लेवल कमेटियों को संबंधित डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हेड करेंगे.
बयान में कहा गया, “यह हाई-लेवल बॉडी एक साथ फ़ैसले लेने, डिपार्टमेंट के बीच तालमेल बढ़ाने और उन सिस्टम से जुड़े मामलों को सुलझाने के लिए बनाई गई है जो पूरे राज्य में रिहैबिलिटेशन और रिसेटलमेंट की कोशिशों की पूरी तरक्की पर असर डाल सकते हैं.”
कमेटियों को IDPs के लिए सभी रिहैबिलिटेशन और रिसेटलमेंट की कोशिशों की मॉनिटरिंग और कोऑर्डिनेट करने और मदद की समय पर और अच्छे से डिलीवरी पक्का करने के लिए रुकावटों को दूर करने का काम सौंपा गया है.
IDPs, जो दो साल से ज़्यादा समय से अलग-अलग रिलीफ कैंपों में रह रहे हैं, उन्होंने इंफाल वेस्ट ज़िले से विरोध शुरू किया था.
30 नवंबर को, इंफाल घाटी के अलग-अलग राहत कैंपों में रह रहे IDPs इंफाल पश्चिम जिले के एक इलाके में इकट्ठा हुए ताकि सरकार को दिसंबर के अंदर उनके छोड़े हुए घरों में उनकी वापसी में मदद करने के उसके वादे की याद दिलाई जा सके.
वहीं मैतेई संगठन ‘Coordination Committee on Manipur Integrity’ (COCOMI) ने भी इस विरोध प्रदर्शन को समर्थन दिया है.
COCOMI के संयोजक खुरैजम अथौबा (Khuraijam Athouba) विरोध के पहले दिन उनके साथ शामिल हुए अधिकारियों के इस भरोसे का ज़िक्र करते हुए कि IDPs दिसंबर तक अपने असली इलाकों में लौट पाएंगे.
साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर सरकार इस महीने के भीतर पुनर्स्थापन सुनिश्चित नहीं करती है, तो वे आंदोलन तेज कर देंगे.
हाल ही में कई ऐसी घटनाएं हुई हैं, जहां सुरक्षा बलों ने कुकी इलाकों में या उसके आस-पास IDPs की अपने असली घरों में लौटने की कोशिशों को नाकाम कर दिया.
इंफाल में रिलीफ कैंप में रह रहे सैकड़ों लोगों का धरना रविवार (30 नवंबर, 2025) को एक बड़ी रैली में बदल गया था.
इस दौरान IDPs ने कहा कि राज्य के हाईवे पर अपने घरों तक आज़ादी से और सुरक्षित आने-जाने की इजाज़त न मिलने से वे निराशा और हताशा की हालत में पहुँच गए हैं, जबकि सरकार का दावा है कि मैतेई-कुकी जातीय हिंसा शुरू होने के दो साल बाद हालात नॉर्मल हो गए हैं.
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन्स (SoO) एग्रीमेंट पर साइन करने के बावजूद, विद्रोही ग्रुप्स ने उन्हें कुकी-बहुल तलहटी के पास अपने गांवों में लौटने से रोक दिया है, जो संवैधानिक नियमों और कानूनों की खुली अवहेलना है.
लोगों ने घर वापसी का यह प्रयास संगाई महोत्सव आयोजित होने के बाद शुरू किया. जिन्हें वे राज्य में शांति और सामान्य स्थिति की वापसी के प्रतीक के रूप में देख रहे हैं.
(Photo Credit: ANI)

