कुकी-ज़ो समुदाय के एक प्रभावशाली संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) ने मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों से काम पर नहीं आने की अपील वापस ले ली है.
सोमवार देर रात जारी एक बयान में चुराचांदपुर स्थित आईटीएलएफ ने कहा, “आम जनता के हित में में राज्य सरकार के कार्यालयों की बंदी तुरंत हटा दी जाएगी.”
आईटीएलएफ द्वारा कर्मचारियों से काम पर न आने का आग्रह करने के बाद सोमवार को चुराचांदपुर और पड़ोसी जिले फ़िरज़ावल में राज्य सरकार के कार्यालयों में कम उपस्थिति दर्ज की गई थी.
आईटीएलएफ ने कहा कि जिला एसपी और डीसी के बदलने और एक हेड कांस्टेबल के निलंबन को रद्द करने की उसकी मांग पूरी नहीं की गई है.
बयान में कहा गया है, “उनकी सुरक्षा के मद्देनजर जिले के डीसी और एसपी को बदलने का आदेश दिया गया था. फिर भी यह बात सामने आई है कि वे जिले में लौटने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं. वे अब अपनी सुरक्षा के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं.”
वहीं आईटीएलएफ ने 15 फरवरी को चुराचांदपुर में डीसी और एसपी कार्यालयों के सरकारी आवास पर हुई हिंसा पर भी “अफसोस व्यक्त किया” और दावा किया कि यह आदिवासी संगठन की जानकारी के बिना हुआ. जबकि उन्होंने लोगों से “इस तरह के आक्रामक व्यवहार में शामिल होने से बचने” का आग्रह किया.”
संगठन के बयान में कहा गया है, “आईटीएलएफ को 15 फरवरी, 2024 की शाम को हुई घटना पर खेद है… यह हमारी जानकारी के बिना हुआ. हमारा अनुरोध है कि लोग आगे से इस तरह के आक्रामक व्यवहार में शामिल होने से बचें. जो कोई भी भविष्य में इस तरह के शत्रुतापूर्ण व्यवहार में शामिल होगा, उसे अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा और इसका परिणाम खुद ही भुगतना होगा.”
दरअसल, हेड कांस्टेबल सियामलालपॉल के निलंबन के बाद 15 फरवरी को चुराचांदपुर में एक भीड़ ने एसपी और डीसी कार्यालयों वाले सरकारी परिसर में घुसकर वाहनों को आग लगा दी थी और सरकारी संपत्ति में तोड़फोड़ की. जिसके बाद सुरक्षा बलों की गोलीबारी में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई और 30 लोग घायल हो गए.
पुलिस के एक आदेश में कहा गया है कि 14 फरवरी को सोशल मीडिया पर “हथियारबंद लोगों” और “गांव के स्वयंसेवकों के साथ बैठने” का एक वीडियो वायरल होने के बाद हेड कांस्टेबल सियामलालपॉल को “अगले आदेश तक तत्काल प्रभाव से निलंबित” रखा गया है.
आईटीएलएफ ने आरोप लगाया है कि पिछले कुछ महीनों में सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें मणिपुर पुलिस के जवान सशस्त्र समूहों के साथ लड़ते और कुकी-ज़ो इलाकों पर हमला करते दिख रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
संगठन ने कहा कि हेड कॉन्स्टेबल को गलत तरीके से निलंबित किया गया है और उसे बहाल किया जाना चाहिए.
वहीं मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने हिंसा की निंदा की और कहा कि एसपी को जान से मारने की धमकी देने के आरोप में एक व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और क्षतिग्रस्त डीसी बंगले की मरम्मत की जा रही है.
राज्य सरकार ने घटना के तथ्यों और परिस्थितियों का पता लगाने के लिए मजिस्ट्रेट जांच के भी आदेश दिए हैं और 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है.
मणिपुर हिंसा
मणिपुर हिंसा को नौ महीने से ऊपर हो गए लेकिन अभी तक कहीं से भी ऐसा नहीं लगता कि उस पर काबू पाने का कोई ख़ास प्रयास किए जा रहे हैं. क्योंकि आए दिन वहां हिंसा भड़क उठती है और लोग मारे जाते हैं.
3 मई, 2023 को मणिपुर में मैतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक लगभग 200 लोग जान गंवा चुके हैं, सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं और 60 हज़ार से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
कुकी-ज़ो जनजातियों के प्रभुत्व वाला चुराचांदपुर जिला मई 2023 में शुरू हुई जातीय झड़पों से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक रहा है.
3 मई 2023 को बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बीच दोनों समुदायों के बीच यह हिंसा भड़की थी.
मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. जबकि आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी समुदाय शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.