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गारो आदिवासियों की संस्कृति और पहचान को बढ़ावा देता मेघालय का मेगॉन्ग फेस्टिवल

मेघालय में कोविड-19 की स्थिति में सुधार के साथ, राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है.

इन्हीं योजनाओं में से एक है मेगॉन्ग फेस्टिवल जिसका मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने उद्घाटन किया. 

पश्चिमी गारो हिल्स क्षेत्र में गारो आदिवासी समुदाय की संस्कृति, विविधता और जीवन शैली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तीन दिन का मेगॉन्ग फेस्टिवल आयोजित हो रहा है. 

संगमा ने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से पर्यटन विभाग गारो हिल्स को पर्यटन स्थल के रूप में प्रदर्शित करेगा.

तुरा के बाहरी इलाके में बाबादम में फेस्टिवल का आयोजन चल रहा है.

मेघालय के अलावा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और असम के लोग भी अपने पारंपरिक पेय का प्रदर्शन कर रहे हैं, जो आमतौर पर चावल और फलों से बने होते हैं.

मेगॉन्ग फेस्टिवल की शुरुआत आदिवासी संस्कृतियों की ब्रूअरीज की खोज करने के लिए की गई है

मुख्यमंत्री ने कहा कि मेगॉन्ग फेस्टिवल की शुरुआत अलग अलग आदिवासी संस्कृतियों की ब्रुअरीज की खोज करने के लिए की गई है. 

संगमा ने यह भी कहा कि आदिवासी लोगों को अपनी संस्कृति पर गर्व है और उनके पारंपरिक पेय उनकी सांस्कृतिक पहचान का एक बहुत बड़ा हिस्सा हैं. 

ब्रू (Brew) प्रतियोगिताओं और फूड शो के अलावा, इस साल के आयोजन में स्थानीय बैंड द्वारा रॉक शो और इलाके के अलग अलग हिस्सों से नृत्य रूपों का भी प्रदर्शन होगा.

फेस्टिवल मेघालय के 50वें वर्ष और भारत की आजादी के 75वें वर्ष के जश्न का हिस्सा है.

कार्यक्रम के दौरान संगमा ने ‘मेघालय एट 50’ के लोगो को भी रिलीज किया.

राज्य के 50वें वर्ष के लिए मेघालय में कई गतिविधियों और उत्सवों का आयोजन किया जाएगा, जिसका समापन अगले साल 21 जनवरी को राज्य की राजधानी और दूसरे हिस्सों में होने वाले एक भव्य कार्यक्रम के साथ होगा.

इसके अलावा बाबादम के चिदिकग्रे में बनने वाला प्रतिष्ठित जनजातीय अनुसंधान संस्थान (Tribal Research Institute – TRI) आदिवासी संस्कृति के अनुसंधान और दस्तावेजीकरण का अवसर देगा.

मेगॉन्ग एक वार्षिक कार्यक्रम होगा जो अगले साल से टीआरआई परिसर में आयोजित किया जाएगा.

हर साल फेस्टिवल का थीम बदल सकता है, लेकिन जो बात बरकरार रहेगी वो यह कि आदिवासी पहचान और संस्कृति को बनाए रखा जाए.

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