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मेघालय इन्वेस्टमेंट एक्ट से जनजातीय पहचान को ख़तरा – KSU

मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में 11 मार्च को खासी स्टूडेंट्स यूनियन (KSU) के कार्यकर्ताओं ने एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने मेघालय सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘Meghalaya State Investment Promotion and Facilitation Act, 2024’ और राज्य में रेलवे परियोजना लागू करने के प्रस्ताव के खिलाफ विधानसभा की ओर मार्च निकाला.

KSU का आरोप है कि यह अधिनियम राज्य के जनजातीय समुदायों की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना के लिए खतरा बन सकता है. इन प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि सरकार इन प्रस्तावों को वापस ले और इनर लाइन परमिट (ILP) लागू करे ताकि बाहरी लोगों का अवैध प्रवेश रोका जा सके.

Meghalaya State Investment Promotion and Facilitation Act, 2024 क्या है?

मेघालय राज्य निवेश संवर्धन और सुविधा अधिनियम, 2024 का उद्देश्य राज्य में निवेशकों को आकर्षित करना और औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देना है। इस अधिनियम के तहत:

हालांकि, KSU का मानना है कि यह अधिनियम बाहरी व्यापारियों और निवेशकों को राज्य में प्रवेश करने का आसान रास्ता देगा. सरकार के इस कदम से स्थानीय जनजातीय आबादी के आर्थिक हित प्रभावित हो सकते हैं. 

उनका कहना है कि यह कानून राज्य की जनजातियों की पारंपरिक आजीविका और सांस्कृतिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकता है.

रेलवे परियोजना का विरोध

KSU लंबे समय से मेघालय में रेलवे सेवा शुरू करने का विरोध करता रहा है. संगठन का तर्क है कि रेलवे लाइन बिछाने से राज्य में बाहरी लोगों की आवाजाही बढ़ेगी, जिससे स्थानीय जनजातीय समुदाय के अस्तित्व पर संकट आ सकता है.

KSU महासचिव डोनाल्ड वी. थाबाह ने कहा कि “रेलवे परियोजना बिना किसी ठोस सुरक्षा उपायों के लागू की जा रही है. इससे बाहरी लोगों का बड़ी संख्या में आगमन होगा, जिससे राज्य की आदिवासी पहचान को खतरा पैदा होगा.” 

रेलवे नेटवर्क की अनुपस्थिति के कारण, मेघालय में अब तक बाहरी राज्यों से प्रवासियों का प्रवाह सीमित रहा है. लेकिन रेलवे कनेक्टिविटी बढ़ने से प्रवासियों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना है, जिससे स्थानीय समुदायों पर दबाव बढ़ सकता है. 

KSU का कहना है कि यह जनजातीय जनसंख्या संतुलन को बिगाड़ सकता है और पारंपरिक आजीविका को प्रभावित कर सकता है.

इनर लाइन परमिट (ILP) की मांग

इनर लाइन परमिट (ILP) एक विशेष यात्रा दस्तावेज़ है, जो भारत के कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में लागू है. इसके तहत बाहरी व्यक्तियों को राज्य में प्रवेश करने के लिए विशेष अनुमति लेनी होती है. वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिज़ोरम और मणिपुर में यह कानून लागू है.

KSU और अन्य जनजातीय संगठनों की लंबे समय से मांग रही है कि मेघालय में भी ILP लागू किया जाए. उनका मानना है कि यह राज्य की जनजातीय पहचान और पारंपरिक भूमि अधिकारों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है. यदि ILP लागू होता है, तो बाहरी लोगों के अनियंत्रित प्रवेश को रोका जा सकेगा.

मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने ‘मैं भी भारत’ से विशेष बातचीत में स्पष्ट किया कि राज्य के भूमि अधिकार सुरक्षित हैं और निवेशकों को स्थानीय कानूनों का पालन करना होगा.

उन्होंने कहा, “1972 में जब हमारा राज्य बना था, तब हमारे नेताओं ने ‘लैंड ट्रांसफ़र एक्ट’ बनाया था. इस कानून की वजह से स्थानीय जनजातीय लोगों के भूमि अधिकार सुरक्षित हैं। 99% मामलों में यह कानून सफल रहा है.”

मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “बाहरी निवेशकों को हमारे कानूनों का पालन करना होगा. जो लोग ऐसे क्षेत्रों में निवेश करेंगे जिससे स्थानीय समुदायों को फायदा होगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे, उन्हें ‘लैंड ट्रांसफ़र एक्ट’ के तहत लीज़ पर ज़मीन देने की अनुमति होगी।”

मुख्यमंत्री यह स्वीकार करते हैं कि मेघालय में जनजातीय समुदाय के लिए ज़मीन एक बेहद संवेदनशील मुद्दा है. इसके साथ ही वह कहते हैं कि उनकी सरकार कोई ऐसा काम नहीं करेगी जिससे स्थानीय लोगों के हितों से समझौता होता है.

वे ज़ोर देकर कहते हैं कि मेघालय के लिए यह बेहद ज़रूरी है कि वो अपने नौजवानों के लिए रोज़गार के अवसर पैदा करे. इसलिए राज्य में पूंजी निवेश का माहौल तैयार करना ज़रूरी है.

मुख्यमंत्री ने मैं भी भारत के साथ ख़ास बातचीत में राज्य की जनजातीय आबादी को आश्वासन दिया है कि भूमि से जुड़े क़ानून में बदलावों को पूरी ज़िम्मेदारी और सावधानी के साथ ही लागू किया जाएगा.

रेलवे परियोजना और ILP पर सरकार का रुख

राज्य सरकार ने यह भी कहा कि ILP लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं. जब तक ILP पूरी तरह से लागू नहीं होता, तब तक रेलवे परियोजना को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. सरकार का मानना है कि रेलवे नेटवर्क राज्य के विकास के लिए आवश्यक है,  लेकिन इसे जनजातीय हितों को ध्यान में रखते हुए ही लागू किया जाएगा.

जनजातीय हित बनाम विकास

मेघालय में इस समय एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जनजातीय अधिकारों और राज्य के विकास के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।

KSU और अन्य आदिवासी संगठनों की चिंताएँ:

  1. बाहरी लोगों की आवाजाही बढ़ने से स्थानीय जनजातीय संस्कृति को खतरा.
  2. रेलवे परियोजना के कारण प्रवासियों की संख्या में वृद्धि होगी, जिससे आदिवासी जनसंख्या अनुपात प्रभावित होगा.
  3. निवेश अधिनियम से बाहरी कंपनियों और व्यापारियों को लाभ होगा, जबकि स्थानीय व्यवसायों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
  4. भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को सरल बनाने से पारंपरिक भूमि अधिकार खतरे में पड़ सकते हैं.

सरकार का पक्ष:

  1. निवेश और रेलवे नेटवर्क से राज्य के आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.
  2. स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर उपलब्ध होंगे.
  3. ‘लैंड ट्रांस्फर एक्ट’ के कारण बाहरी लोग सीधे जमीन नहीं खरीद सकते, जिससे स्थानीय लोगों के अधिकार सुरक्षित रहेंगे.
  4. ILP लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे बाहरी लोगों के अनियंत्रित प्रवेश को नियंत्रित किया जा सकेगा.

मेघालय में निवेश अधिनियम और रेलवे परियोजना को लेकर विवाद जारी है. KSU और अन्य जनजातीय संगठनों का मानना है कि ये योजनाएँ जनजातीय समाज की पहचान और आजीविका के लिए खतरा बन सकती हैं. वहीं, सरकार का दावा है कि निवेश और रेलवे से राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और स्थानीय लोगों के लिए नए अवसर खुलेंगे.

इस मामले में संतुलन बनाए जाने की ज़रूरत है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि रेल नेटवर्क से मेघालय को काट कर रखना राज्य के साथ नाइंसाफ़ी होगी. लेकिन जनजातीय संगठनों की तरफ़ से जो चिंता प्रकट की जा रही है उसे भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है. मेघालय में निवेश का माहौल बनाने की कोशिशों और रेल नेटवर्क पहुंचाने की कोशिशें तभी कामयाब हो सकती हैं जब इन कोशिशों में सरकार ईमानदारी और पारदर्शिता बरते. 

इसके साथ ही स्थानीय लोगों का भरोसा जीते बिना इन दोनों ही लक्ष्यों को हासिल करना संभव नहीं लगता है.

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