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केंद्र सरकार की मोबाइल कनेक्टिविटी परियोजना के तहत 7,000 गावों में ज़्यादातर आदिवासी बहुल

केंद्र सरकार ने साल 2023 तक 6,466 करोड़ की लागत पर 4G कनेक्टिविटी पहुंचाने के लिए 7,200 गांवों को चुना है. इनमें से आधे से ज़्यादा, जिनमें बड़े पैमाने पर आदिवासी समुदाय के लोग बसे हैं, ओडिशा में हैं.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस हफ़्ते बुधवार को आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा के पांच राज्यों के 44 आकांक्षी जिलों के 7,287 गांवों में मोबाइल सेवाओं के प्रावधान को मंजूरी दी थी.

हालांकि इस फैसले से कितनी आदिवासी आबादी को फ़ायदा होगा, इसकी ठीक-ठीक जानकारी तो नहीं है, लेकिन द हिंदू के मुताबिक़ इन गांवों में लगभग 36 लाख लोगों से ज़्यादा लोग रहते हैं. 

आंकड़ों के अनुसार, परियोजना के तहत 3,933 ऐसे गांव ओडिशा में आते हैं. इनमें रायगड़ा (962 गांव), कंधमाल (1,094 गांव), मलकानगिरी (306 गांव), गजपति (467 गांव), नबरंगपुर (17 गांव) और कोरापुट (520 गांव) जैसे ज़िले शामिल हैं, जहां आदिवासियों की आबादी 50% से ज़्यादा है. 

2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में आने वाले 700 गांवों में से 418 गांव बीजापुर, नारायणपुर और बस्तर जैसे जिलों में हैं, जो आदिवासी बहुल ज़िले हैं.

झारखंड के 827 गांव बोकारो, हजारीबाग, खूंटी, पूर्वी सिंहभूम, साहिबगंज और सिमडेगा जैसे जिलों में हैं. जबकि महाराष्ट्र के गढ़चिरौली और नंदुरबार जैसे जिलों के 610 गांवों को फायदा होगा. 

आंध्र प्रदेश के लगभग 1,218 गांव विशाखापत्तनम, विजयनगरम और वाईएसआर जिलों में हैं. इनमें से अधिकांश जिलों में महत्वपूर्ण आदिवासी आबादी है.

दूरसंचार विभाग के अनुमान के अनुसार, अगस्त 2021 तक, आदिवासी और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित इलाक़ों समेत देश के 5,97,618 आबादी वाले गांवों में से 5,72,551 में मोबाइल नेटवर्क कवरेज है, जबकि 25,067 बसे हुए गांवों में मोबाइल नेटवर्क कवरेज नहीं है.

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