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आदिवासी आबादी में वैक्सीन कवरेज की जानकारी सरकार के पास नहीं है

केन्द्र सरकार ने कहा है कि कोविड की वैक्सीन के मामले में आदिवासियों का अलग से कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है. जनजातीय कार्य मंत्रालय की तरफ़ से संसद में एक सवाल के जवाब में यह कहा गया है. 

लोक सभा में तमिलनाडु के सांसद डीएम कातिर आनंद (DM Kathir Anand) ने सरकार से पूछा था कि तमिलनाडु में अभी तक आदिवासी समुदायों में कुल कितने लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है.

इसके जवाब में सरकार ने कहा है कि कोविड वैक्सीन के मामले में धर्म, जाति या समुदाय के आधार पर कोई भेद-भाव नहीं किया जाता है. इसलिए अलग से इसकी जानकारी भी दर्ज नहीं की जाती है.

तमिलनाडु में 2011 की जनगणना के अनुसार आदिवासियों की कुल जनसंख्या क़रीब 2.5 लाख है. 

इसमें 6 आदिवासी समुदायों को विशेष रूप से पिछड़े आदिवासी समुदायों (PVTG) के तौर पर पहचाना गया है. 

सवाल पूछने वाले सांसद डीएम कातिर आनंद

इसके अलावा सांसद कातिर आनंद सरकार ये यह भी पूछा था कि कोविड के दौरान और विशेष रूप से लॉक डाउन के समय में आदिवासियों की जीविका के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं. 

इसके जवाब में केन्द्र सरकार ने बताया है कि इस सिलसिले में राज्य सरकारों को उनके भेजे प्रस्तावों के आधार पर फंड उपलब्ध करवाया गया है.

केन्द्र सरकार का दावा है कि उसने लॉकडाउन और कोविड के दौरान आदिवासियों की जीविका से जुड़े कई तरह के प्रस्तावों के लिए पैसा दिया है. 

इसमें खेती-किसानी, बाग़वानी, पशुपालन और मछली पालन के लिए पैसा उपलब्ध कराया गया है. सरकार ने बताया है कि अलग अलग राज्यों को इस काम के लिए 587.47 करोड़ रूपये दिए गए हैं. 

जनजातीय कार्य मंत्रालय की तरफ़ से जवाब में दावा किया गया है कि इस दौरान आदिवासियों की आमदनी बढ़ाने के लिए कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों, आदिवासी सांसदों और राज्यों के अलग अलग विभागों से लगातार विचार विमर्श किया गया है. 

सरकार ने यह दावा भी किया है कि विशेष रूप से पिछड़े आदिवासी समुदायों के लिए भी राज्य सरकारों को फंड दिया गया है. 

जनजातीय कार्य मंत्रालय की तरफ़ से दिए जवाब में यह भी बताया गया है कि लघु वन उत्पाद (Minor Forest Produce) की ख़रीद के लिए ख़ास इंतज़ाम किए गए हैं.

इसके साथ ही 37 अतिरिक्त वन उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने वाले उत्पादों की सूचि में शामिल किया गया है. 

मंत्रालय की तरफ़ से यह भी दावा किया गया है कि अगस्त 2019 से शुरू की गई वनधन योजना के तहत अब तक 24 राज्यों में वनधन केन्द्रों की स्थापना को मंज़ूरी दी जा चुकी है.

अभी तक कुल 2275 वनधन विकास केन्द्रों को मंज़ूरी मिल चुकी है. 

जनजातीय कार्य राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरूता की तरफ़ से दिए गए जवाब में यह भी दावा किया गया है कि भारत सरकार के अलग अलग मंत्रालयों ने भी आदिवासी जीविका से जुड़ी योजनाओं के लिए पैसा ख़र्च किया है. 

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