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अरूणाचल प्रदेश में 13 मार्च से मनाया जाएगा आदि समुदाय का सबसे प्राचीन त्योहार

इस साल अरूणाचल प्रदेश (Tribes of Arunachal Pradesh) के आदि समुदाय (Aadi tribes) का सियांग उनिंग आरान महोत्सव (Siang Unying Aaran Festival) 12 या 13 मार्च को मनाया जाएगा.

आदि जनजाति अरूणाचल प्रदेश के सबसे बड़े आदिवासी समुदायों में से एक है. वैसे तो आदि जनजाति कई त्योहार मनाते हैं लेकिन यह त्योहार इनके प्रमुख त्योहारों में से एक है.

यह आदि समुदाय का नव वर्ष में आने वाला सबसे पहला त्योहार है. इस दिन सभी आदिवासी इकट्ठा होकर अच्छी फसल की प्रार्थना करते हैं. इस त्योहार को शिकार उत्सव भी कहा जाता है क्योंकि त्योहार की शुरूआत होते ही पुरूष शिकार के लिए जंगल की ओर चल देते है.

त्योहार के दौरान आदि समुदाय का हर पुरूष एक हफ्ते तक जंगल में ही रहता है और शिकार करता है. एक हफ्ते बाद सभी पुरूष अपने घरों के लिए शिकार लाते है.

जंगल से वापसी के दौरान एक- दूसरे से बात करके यह पता लगाया जाता है की किस व्यक्ति या समूह ने सबसे ज्यादा शिकार किया है.

पुरूषों के घर आगमन पर सभी बच्चें याकजोंग नृत्य करते हैं. इस नृत्य के दौरान सभी बच्चे एक घर से दूसरे घर जाकर नाच-गाना करते हैं.

इसके अलावा समुदाय के बुजुर्गो द्वारा बारी गीत गाया जाता है. आदि समुदाय के नाच-गाने में त्योहार की उत्पत्ति से संबंधित लोककथाएं भी शामिल है.

बच्चों और बुजुर्ग द्वारा गाए जाने वाले गानों और नृत्य के माध्यम से त्योहार की उत्पत्ति को आसानी से समझा जा सकता है.
इसके अलावा शिकार में मिले जानवरों से बच्चों के लिए व्यंजन तैयार किए जाते है. जो उन्हें उपहार के रूप में परोसा जाता है, जिसे आमान कहते है.

त्योहार के दौरान सभी आदिवासी शिकार से बनाए गए व्यंजन का लुप्त चावल की शराब (आपोंग) के साथ उठाते हैं.
इसके अलावा परिवार के सदस्यों (मामा) को उपहार के रूप में शराब दी जाती है और बदले में परिवार वाले लाए गए शिकार को उपहार के रूप में देते हैं.

नृत्य के अलावा सभी आदिवासी मिलकर अपने देवी-देवताओं से अच्छी फसल की कामना भी करते हैं.

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