Mainbhibharat

20 मार्च से शुरू होगा अपतानी आदिवासियों का मायोको त्योहार

मायोको त्योहार (Myoko festival) अरूणाचल प्रदेश (Tribes of Arunachal Pradesh) के अपतानी आदिवासियों (Apatani tribe) प्रमुख त्योहारों में से एक है. अपतानी आदिवासी मुख्य रूप से सुबनसिरी ज़िले के निचले भाग में रहते हैं.

अपतानी आदिवासी के अलावा राज्य के डिबो हिजा, हरी बुला भी इस त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाते है.

मायोको उतस्व ‘ दोस्ती और सद्भावना ’ का त्योहार माना जाता है. इसलिए त्योहार को मानाने के लिए आस-पास के सभी गाँव इकट्ठा होते है.

अगर त्योहार की शुरूआत में बारिश हो जाए तो इसे और भी शुभ माना जाता है.

यह त्योहार हर साल 20 मार्च से शुरू होता है और 10 दिन तक लगातर चलता है. त्योहार के समय आदिवासियों के खेतो में फसले आना भी शुरू हो जाती है.

इसलिए सभी आदिवासी अपने देवी-देवताओं से अच्छी फसल की कामना भी करते है.

अपतानी आदिवासियों के गाँव के लगभग हर घर पर आदिवासी झंडा (डोनयी पोलो) लगा होता है. इस झंडे के द्वारा यह भलीभांति समझा जा सकता है कि अपतानी आदिवासी प्रकृति की पूजा करते है.

इस त्योहार में खास बात ये होती है की त्योहार के दौरान सभी आदिवासी अपने घरों के दरवाज़े खुले रखते है.

त्योहार से जुड़े कार्यक्रम को देखने के लिए पुरूष उत्सव स्थल पर इकट्ठा हो जाते है. वहीं महिलाएं और बच्चे अपने झोपड़ियों के बाहर से ही महोत्सव का आनंद लेते हैं.

कार्यक्रम की शुरूआत में आदिवासी पुरूष पांरपरिक कपड़े पहने उत्सव स्थल पर इकट्ठा हो जाते है. यह पुरूष अपने हाथ में ताड़ के पत्ते लिए गाँव के चक्कर लगाते है. जैसे ही इनके चक्कर पूरे हो जाते है. तब यह सभी पत्तों को अस्थायी रूप से बनाए गए पूजा स्थल में रख देते है.

इस पूजा स्थल को लपांग कहा जाता है. लपांग के बिना मायोको उत्सव अधूरा माना जाता है.

लपांग को जंगलों से मिली लकड़ी की सहायता से गाँव के बीचो-बीच बनाया जाता है

कार्यक्रम के अगले दिन सूअर की बलि चढ़ाई जाती है. इन सूअर को बांस के खंभे से बांधा जाता है. सूअर की बलि चढ़ने से पहले सभी आदिवासी मिलकर अपने देवी-देवताओं की पूजा करते हैं.

पूजा के दौरान गाँव की नई नवेली दुल्हने परंपरा अनुसार इन्हें शुद्ध करती है. यह महिलाएं अपने साथ बर्तनों में चावल का पाउडर लाती है.

पूजारी अपने मंत्र का उच्चारण जारी रखता है और ये महिलाएं सूअरों को शुद्ध करने के लिए इन पर चावल का पाउडर और राइस बियर छिड़कती है.  

जिसके बाद पूजारी घंटों तक मंत्र पड़ता है और फिर सूअरों की बलि चढ़ाई जाती है.

Exit mobile version