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नागालैंड 1 से 10 दिसंबर तक चलने वाले हॉर्नबिल त्योहार के लिए तैयार, जाने क्या है खास

Naga tribesmen from Yimchunger tribe a dance on the second of the Hornbill festival at the Naga Heritage village Kisama, some 15 kms away from Kohima, the capital city of India north eastern state of Nagaland on Saturday, 02 December 2017. The annual Hornbill Festival which celebrates from December 1-10 celebrates the cultural heritages of the Nagas. (Photo by Caisii Mao/NurPhoto)

देश के उत्तर-पूर्व राज्य नागालैंड (Nagaland) 1 से 10 दिसंबर तक चलने वाले हॉर्नबिल त्योहार (Hornbill festival) के लिए तैयार है. इसे त्योहारों का त्योहार भी कहा जाता है. यह फेस्टिवल का 24वां संस्करण है.

हॉर्नबिल महोत्सव एक ऐसा त्योहार है जो राज्य की संस्कृति का जश्न मनाता है. दिसंबर के महीने में सर्दियों के मौसम में आयोजित होने वाले इस मेले में काफी संख्या में सैलानी आते हैं.

यह केंद्र सरकार द्वारा समर्थित राज्य पर्यटन और कला और संस्कृति विभागों द्वारा आयोजित किया जाता है. मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने बताया की इस साल जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका और कोलंबिया के अधिकारी भी कार्यक्रम में शामिल होंगे.

इसके अलावा दो साल के अंतराल के बाद पूर्वी नागालैंड की सात जनजातियाँ इस उत्सव में भाग लेंगी. 2021 में हॉर्नबिल त्योहार के दौरान 13 नागरिकों पर हमला किया गया था. जिसके बाद पूर्वी नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ENPO) ने त्यौहार के दौरान होने वाले इस कार्यक्रम से अपना नाम हटा दिया था.

पूर्वी नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ), क्षेत्र की सात जनजातियों का प्रतिनिधित्व करता है. पिछले साल भी अपनी मांग के चलते वे कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे. उन्होंने पूर्वी नागालैंड में सात जिलों वाले एक अलग राज्य की अपनी मांग पर जोर देने के लिए पिछले साल कार्यक्रम में भी भाग नहीं लिया था.

इस त्योहार में होने वाला कार्यक्रम राज्य की राजधानी कोहिमा से लगभग 12 किलोमीटर दूर किसामा में नागा हेरिटेज विलेज में आयोजित किया जाएगा.

इसे त्योहारों का त्योहार इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें नागालैंड की सभी जनजातियों को अपनी संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है.

इसका हॉर्नबिल नाम हॉर्नबिल पक्षी से लिया गया है. इस पक्षी की नागालैंड के आदिवासियों के बीच अत्याधिक मान्यता है.

नागालैंड को त्योहारों की भूमि के रूप में जाना जाता है क्योंकि हर एक जनजाति की अपनी परंपराएं, भाषा और संस्कृति होती है और ये कृषि कैलेंडर के विभिन्न मौसमों के दौरान पूरे वर्ष मनाए जाते हैं.

इस बारे में मिली अन्य जानकारी के अनुसार इस त्योहार की शुरूआत साल 2000 में नागालैंड सरकार ने कराई थी. जिसका उद्देश्य नागा जनजातियों को आपस में एक दूसरे से परिचित कराना व देश दुनिया को नागा समाज की संस्कृति से रूबरू कराना था.

इसकी शुरूआत राज्य पर्यटन, कला एवं संस्कृति विभाग नागालैंड ने करी थी.

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