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नागालैंड ट्राइब्स काउंसिल ने तेल की खोज की शर्तें रखी हैं

नागालैंड ट्राइब्स काउंसिल (Nagaland Tribes Council) ने नागालैंड में तेल की खोज के लिए कुछ शर्तें तय की हैं.

नागालैंड में 600 मिलियन टन तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार होने का अनुमान है. 1990 के दशक में अतिवाद और स्थानीय समूहों के विरोध के कारण राज्य में अन्वेषण बंद कर दिया गया था.

मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो (Neiphiu Rio) और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) के बीच सीमा के साथ विवादित क्षेत्रों में तेल की खोज के लिए 22 अप्रैल को सैद्धांतिक रूप से सहमती बनी थी.

इसके बाद नागालैंड में विभिन्न जनजातीय समूहों ने चिंता व्यक्त करना शुरू कर दिया. इन जनजातीय समूहों में सात चरमपंथी जनजातीय समूह भी शामिल हैं.

1 मई को गुवाहाटी में एक कार्यक्रम के दौरान ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, रंजीत रथ ने कहा कि खोज कंपनी असम के अलावा अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और त्रिपुरा में संचालन करने के बाद नागालैंड में 3,000 वर्ग किलोमीटर की खोज करने की इच्छुक थी. 

उन्होंने कहा, “हमारे पास नागालैंड में 3,000 वर्ग किलोमीटर का अन्वेषण क्षेत्र है. हम ऑपरेशन को लेकर आशान्वित हैं क्योंकि असम और नगालैंड के बीच विवाद को चर्चा के जरिए सुलझाया जा रहा है.”

लेकिन नागालैंड ट्राइब्स काउंसिल ने कहा कि जब तक दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद का समाधान नहीं हो जाता, तब तक यह काम आगे नहीं बढ़ सकता है.

ट्राइबल काउंसिल ने यह कहा है कि नागालैंड में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस से संबंधित 2012 के नियम दोषपूर्ण हैं और इन नियमों हितधारकों की सहमति के बिना कोई अन्वेषण नहीं हो सकता है.

एनटीसी ने असम को “कृत्रिम सीमा रेखा” के साथ “नागाओं की भूमि को जोड़ने” के लिए समस्याएं पैदा करने के लिए दोषी ठहराया.

2022 के एक अनुमान के अनुसार, विवादित सीमा पर 30 से अधिक तेल क्षेत्रों का संचालन न होने के कारण नागालैंड को तेल रॉयल्टी में सालाना 1,825 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है.

असम-नागालैंड विवादित क्षेत्रों में तेल और गैस

22 अप्रैल को असम और नागालैंड ने विवादित क्षेत्रों में तेल और गैस की खोज और उत्पादन को फिर से शुरू करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमति व्यक्त की है. संघर्ष के कारण अब लगभग तीन दशकों से बंद यह काम फिर से शुरू होने की संभावना है.

पेट्रोलियम मंत्रालय के ‘उत्तर पूर्व में हाइड्रोकार्बन के लिए विजन 2030’ के अनुसार, नागा शूपेन बेल्ट में 555 एमएमटीओई संभावित तेल और गैस के बराबर अनुमानित संसाधन होने का अनुमान है.

दोनों राज्यों के बीच 60 साल पुराना विवाद फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. असम और नागालैंड 434 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं.

सरमा और रियो ने नई दिल्ली में गुरुवार की रात यानि 22 अप्रैल को एक बैठक के दौरान तेल और गैस की खोज और निष्कर्षण को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है.

इस दौरान मुख्यमंत्री रियो ने कहा था कि असम और नागालैंड ने सैद्धांतिक रूप से विवादित क्षेत्रों में तेल की खोज पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का फैसला किया है ताकि तेल निकाला जा सके और पड़ोसी राज्यों के बीच रॉयल्टी साझा की जा सके.

उन्होंने कहा, “एक बार जब यह औपचारिक हो जाएगा, नागालैंड के अंदर भी तेल की खोज के लिए बड़ी संभावनाएं हैं. और आगे बढ़ने के लिए देश को बड़े पैमाने पर तेल की जरूरत है.”

पेट्रोलियम मंत्रालय के दस्तावेज में कहा गया है कि इस क्षेत्र में नागालैंड और असम के बीच सीमा विवाद से संबंधित मुद्दे हैं. ओएनजीसी के दो ब्लॉक इस क्षेत्र में हैं. कानून और व्यवस्था के मुद्दों के कारण इन ब्लॉकों में काम आगे नहीं बढ़ सका.

असम-नागालैंड सीमा बेल्ट पर विवाद, जिसे अशांत क्षेत्र बेल्ट (डीएबी) कहा जाता है, 1988 में असम द्वारा एक याचिका दायर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट से समाधान की प्रतीक्षा कर रहा है.

इस याचिका में समाधान की मांग की गई है. असम सरकार मौजूदा सीमा सीमांकन में कोई बदलाव नहीं चाहती है. हालांकि नागालैंड उस ऐतिहासिक सीमा का पालन करना चाहता है जिसे औपनिवेशिक शासन से पहले सीमांकित किया गया था.

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