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आदिवासियों के उत्पाद को बाजार से जोड़ने के लिए नई योजना पर विचार- TRIFED

केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने अनुसूचित जनजाति के सदस्यों द्वारा उत्पादित हस्तशिल्प और अन्य वस्तुओं को बाजार से जोड़ने के लिए एक नई योजना तैयार की है. यह जानकारी भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ (TRIFED) के प्रबंध निदेशक प्रवीर कृष्णा ने शुक्रवार को दी.

उन्होंने ‘ट्राइब्स- टेल्स फ्रॉम ट्राइबल हार्टलैंड्स’ नामक अपनी किताब के विमोचन के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में बताया कि इस योजना के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल को मंजूरी के लिए भेज दिया गया है.

प्रवीर कृष्णा ने जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा की मौजूदगी में कहा कि ‘प्रधानमंत्री जनजातीय विकास योजना’ की घोषणा मंत्री बहुत जल्द करेंगे. इसे कैबिनेट को भेज दिया गया है.

उन्होंने कहा कि वह भारतीय कॉफी बोर्ड की तर्ज पर लघु वनोपज बोर्ड के गठन का प्रस्ताव भी तैयार कर जनजातीय कार्य मंत्रालय को विचार के लिए भेजेंगे. उन्होंने आदिवासी मामलों के मंत्री से अपने प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री के साथ भी चर्चा करने का आग्रह किया.

प्रवीर कृष्णा ने पीटीआई को बताया कि प्रस्तावित योजना का उद्देश्य वनवासियों और अनुसूचित जनजाति समुदायों के सदस्यों को बाजार से जोड़ना है और उन्हें अपने उत्पाद बेचने और आय बढ़ाने में मदद करना है.

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री जनजातीय विकास योजना अनुसूचित जनजातियों को बिचौलियों के बजाय अपने उत्पादों को बेचने में सक्षम बनाने के लिए सीधी बाजार पहुंच प्रदान करना चाहती है ताकि उनके काम का लाभ उन तक पहुंचे.”

इस अवसर पर ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक ने कहा कि आदिवासी जो उत्पादन करते हैं उसकी गुणवत्ता कहीं और की तुलना में थोड़ी अधिक है. लेकिन उन्हें उनका उचित मूल्य नहीं मिलता है क्योंकि वे सीधे बाजार तक नहीं पहुंच सकते हैं.

उन्होंने कहा, “ट्राइफेड लगभग 20 लाख आदिवासी कारीगरों का परिवार है और प्रत्येक परिवार में कम से कम पांच सदस्य हैं. इसलिए यह लगभग एक करोड़ कारीगरों का परिवार है. अगर हम इन परिवारों की आय को अमूल के सपने से पांच गुना बढ़ा दें जो कि था गुजरात में देखा जा सकता है देश भर में देखा जा सकता है.”

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासियों के कल्याण और संरक्षण के नाम पर अतीत में जो भी कानून और नीतियां बनाई जाती थीं, वे कभी भी अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के कानून और नीतियां नहीं बन सकतीं.

उन्होंने कहा, “आजादी के बाद जंगल, जानवरों, जैव-विविधता के संरक्षण के लिए कई कानून और नीतियां लाई गईं, लेकिन कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया कि जंगल में रहने वाले लोगों की रक्षा कैसे की जाए.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, केंद्र सरकार ने वन, पशु, जैव-विविधता के साथ-साथ अनुसूचित जनजातियों और वनवासियों के संरक्षण और कल्याण के बारे में सोचने के लिए नीतियों और कार्यक्रमों को सुव्यवस्थित किया है. उन्होंने कहा कि इन सभी चीजों को नीति में व्यवस्थित किया गया है.

ट्राइफेड के प्रबंध निदेशक द्वारा लिखी गई किताब का अनावरण करते हुए, अर्जुन मुंडा ने कहा कि यह न सिर्फ एक आईएएस अधिकारी के अनुभव को दर्शाती है. जिसने अपना पूरा कार्यकाल आदिवासियों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है, बल्कि उनके सशक्तिकरण के लिए लाए गए सुधारों को भी दर्शाता है.

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी कृष्णा को किताब के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा, “यह अहम है कि हम सुनिश्चित करें कि आदिवासी समुदाय अपने पारंपरिक कौशल को बनाए रखें और साथ ही हमें उनके लिए नई रचनात्मक आजीविका और आय बढ़ाने के अवसरों को खोलना चाहिए. यह वही है जो प्रवीर कृष्णा आदिवासी में अपने कार्यकाल के माध्यम से लगातार प्रयास कर रहे हैं.”

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