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ओंग जनजाति के नौ बच्चों ने दसवीं कक्षा की परीक्षा पास की

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) ओंग जनजाति (Onge tribe) के 9 बच्चों ने CBSE बोर्ड की दसवीं कक्षा उत्तीर्ण कर ली है. इसके साथ ही उन्होंने 11वीं कक्षा में प्रवेश ले लिया है. यह जानकारी एक अधिकारी ने दी.

पांच लड़कियों और चार लड़कों सहित नौ ओंग छात्रों को लिटिल अंडमान के डुगोंग क्रीक में पीएम श्री सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, आर के पुर में आर्ट स्ट्रीम में 11वीं कक्षा में दाखिला दिया गया है.

डुगोंग क्रीक के स्कूल टीचर प्रकाश तिर्की ने कहा, ‘हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि उन्होंने हाल ही में आयोजित सीबीएसई बोर्ड की दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है. यह पहली बार है जब ओंग जनजाति के छात्र इस शैक्षणिक उपलब्धि तक पहुंचे हैं. औपचारिक रूप से उनका दाखिला हो गया है और उनकी कक्षाएं 15 जुलाई, 2025 से शुरू होंगी.’

उन्होंने कहा, ‘ओंग समुदाय के छात्र बहुत मेधावी और मेहनती हैं. वे उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं और मुख्यधारा के समाज में हिस्सा लेना चाहते हैं. वे अच्छी नौकरी के अवसरों की भी मांग कर रहे हैं.’

9 छात्र अलागे, कोकोई, मुकेश, पालित, सोनिया, बॉलिंग, गिते, ओतिकालाई और सुमा हैं.

अलागे ने कहा, ‘मैं अपने जंगल और जमीन की रक्षा करने और अतिक्रमणकारी गतिविधियों को रोकने के लिए वन अधिकारी बनना चाहता हूं. जंगल हमारे लिए सब कुछ है और बाहरी लोगों के शोषण से इसे बचाना हमारा कर्तव्य है.’

एक अन्य छात्रा ओतिकालाई ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपने समुदाय को बढ़ावा देने और प्रेरित करने के लिए स्कूल शिक्षिका बनने की इच्छा जाहिर की. जबकि मुकेश का सपना ट्राइबल वेलफेयर ऑफिसर बनना है.

अंडमान और निकोबार जनजातीय कल्याण विभाग के सचिव सत्येंद्र सिंह दुरस्वात ने कहा, “डुगोंग क्रीक के नौ ओंग छात्रों की यह उपलब्धि पीवीटीजी समुदाय के असाधारण क्षमता को दर्शाती है. यह ऐतिहासिक उपलब्धि हमारे उपराज्यपाल और द्वीप विकास एजेंसी के उपाध्यक्ष एडमिरल डी के जोशी और हमारे मुख्य सचिव के दूरदर्शी मार्गदर्शन और नेतृत्व से संभव हुई है.”

वहीं अंडमान आदिम जनजाति विकास समिति (AAJVS) के अधिकारियों और पीएम श्री सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, आर के पुर के प्रिंसिपल के परामर्श के बाद उनके लिए एक स्पेशल क्लासरूम का निर्माण किया गया.

परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए अंडमान आदिम जनजाति विकास समिति और शिक्षा विभाग ने व्यापक व्यवस्था की है…जिसमें स्कूल के पास लड़कों और लड़कियों के लिए समर्पित छात्रावास भी शामिल हैं.

एएजेवीएस ने स्टेशनरी, कपड़े, राशन और अन्य स्कूल सामग्री जैसी जरूरी सामान भी उपलब्ध कराई हैं.

एक अधिकारी ने कहा, “हम उन्हें चौबीसों घंटे सहायता, निरंतर देखभाल और गाइडेंस दे रहे हैं. पीएम श्री जीएसएस आर के पुर स्कूल के फैकल्टी और स्टाफ ओंग छात्रों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि उन्हें डुगोंग क्रीक के अपने मूल वातावरण से औपचारिक शिक्षा प्रणाली में समायोजित करने में मदद मिल सके. छात्रों ने अपने पारंपरिक आवास से बाहर नए अनुभवों को अपनाने में उत्साह और जिज्ञासा दिखाई है.”

ओंग जनजाति कौन हैं?

ओंग जनजाति लिटिल अंडमान द्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से हैं. उनकी आबादी लगभग 100-120 होने का अनुमान है.

2004 की सुनामी, कटाई और बस्तियों ने उनके क्षेत्र को कम कर दिया. ओंग जनजाति संकट के कगार पर है, उनकी जनसंख्या कमजोर है और संस्कृति लुप्त हो रही है.

1940 के दशक तक ओंग जनजाति लिटिल अंडमान के एकमात्र स्थायी निवासी थे, जब उनकी ज़मीन भारत, बांग्लादेश और निकोबार द्वीप समूह से आए लोगों ने छीन ली थी.

जब 100 साल पहले ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों के साथ इनका जबरन संपर्क हुआ, तब से इनकी आबादी में गिरावट आई है, साथ ही उनके स्वास्थ्य और कल्याण में भी गिरावट आई है.

पहले खानाबदोश लोग रहे ओंगे को 1976 में भारतीय सरकार ने जबरन बसाया था ताकि उन्हें ‘स्वच्छ जीवन जीने और प्रकृति के तत्वों से सुरक्षा के लिए बुनियादी सुविधाएँ’ मिल सकें. अब वे डुगोंग क्रीक में एक रिजर्व में रहते हैं जो उनके मूल क्षेत्र के आकार का एक अंश है.

2004 में सुनामी के कारण ओंग की नई बस्तियां पूरी तरह से नष्ट हो गईं लेकिन सभी ओंग बच गए.

सरकारी राशन और चिकित्सा देखभाल के बावजूद उनके बसने के बाद से उनका स्वास्थ्य गिरता गया है और वे कुपोषण, शिशु मृत्यु दर और ख़तरनाक रूप से कम विकास दर की उच्च दर से पीड़ित हैं. उनके बसने के बाद के वर्षों में शिशु और बाल मृत्यु दर दोगुनी हो गई.

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