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वर्ल्ड बैंक और केन्द्रीय पैकेज के सहारे आदिवासियों को मनाने में जुटी त्रिपुरा की बीजेपी सरकार

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को वादा किया कि त्रिपुरा के जनजातीय क्षेत्रों के सतत विकास और बुनियादी ढांचा विकास के लिए 1,300 करोड़ रुपये की परियोजना को अगले 10 दिनों के भीतर मंजूरी दे दी जाएगी. त्रिपुरा में आदिवासी राज्य की आबादी का एक तिहाई हिस्सा हैं.

राज्य के मोहनपुर में करीब 11 परियोजनाओं का उद्घाटन करने के बाद एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि विश्व बैंक के वित्त पोषण के साथ 1,300 करोड़ रुपये की परियोजना जनजातीय क्षेत्रों में चौतरफा विकास सुनिश्चित करेगी.

दो दिन के दौरे पर त्रिपुरा आयीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 189 करोड़ रुपये की स्थानीय परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया. उन्होंने बाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाओं की समीक्षा भी की.

उन्होंने मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब, उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा, जो वित्त विभाग भी संभालते हैं के साथ राज्य अतिथि गृह में एक बैठक में वनीकरण और आजीविका, बिजली पारेषण (पावर ट्रांशमिशन), जल आपूर्ति और बुनियादी ढांचे के विकास में ईएपी की समीक्षा की. समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव कुमार आलोक सहित वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे.

साथ ही उन्होंने यह भी घोषणा की कि 21 करोड़ रुपये की दो अन्य परियोजनाओं को शुक्रवार सुबह ही केंद्र ने मंजूरी दी है. दो परियोजनाओं में 14.15 करोड़ रुपये की लागत से राज्य राजमार्ग का चौड़ीकरण और 7.4 करोड़ रुपये की लागत से राजधानी शहर में विभिन्न कार्य शामिल हैं.

सीतारमण ने बाद में उत्तर पूर्वी क्षेत्र विद्युत प्रणाली सुधार परियोजना (NERPSIP) के तहत निर्मित पश्चिमी त्रिपुरा के मोहनपुर में विश्व बैंक से सहायता प्राप्त 132 केवी इलेक्ट्रिक सब-स्टेशन का उद्घाटन किया. उन्होंने पश्चिमी त्रिपुरा के रामपुर, प्रगति और बदरघाट में उत्तर पूर्व क्षेत्र शहरी विकास परियोजना (एनईआरयूडीपी) के तहत एशियाई विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित 20 करोड़ रुपये के तीन भूतल जल उपचार संयंत्रों का भी उद्घाटन किया.

सीतारमण ने 132 पेयजल आपूर्ति योजनाओं के साथ-साथ जल जीवन मिशन के तहत प्रदान किए गए 80,660 कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन और ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास कोष और केंद्र सरकार की विशेष योजना सहायता के तहत कार्यान्वित सात परियोजनाओं का भी शुभारंभ किया. त्रिपुरा में किसी भी दल को सत्ता में पहुंचने या बने रहने के लिए आदिवासी आबादी के समर्थन की ज़रूरत होती है.

बीजेपी को राज्य में आदिवासी संगठनों के साथ गठबंधन से राज्य में सत्ता हासिल हुई थी. लेकिन अब त्रिपुरा में बीजेपी से आदिवासी नाराज़ नज़र आ रहे हैं. इसी साल अप्रैल महीने में हुए त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र स्वायत ज़िला परिषद (TTAADC) में सत्ताधारी बीजेपी को शर्मनाक हार झेलनी पड़ी थी. उसके बाद से बीजेपी के लिए आदिवासी इलाकों में जनाधार को फिर से पाना एक बड़ी चुनौती है. 

2018 में आईपीटीएफ नाम के आदिवासी संगठन के साथ गठबंधन में बीजेपी ने त्रिपुरा में 25 साल पुरानी वाम मोर्चा सरकार को हरा दिया था. 

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