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‘टोपीवालों से कोई गठबंधन नहीं करेंगे – छोटु भाई वसावा

गुजरात की भारतीय ट्राइबल पार्टी (Bharatiya Tribal Party) ने आज यह संकेत दे दिया है कि वह बीजेपी या आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी. इस साल मई महीने में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के साथ भारतीय ट्राइबल पार्टी की संयुक्त जनसभा हुई थी.

आज चार महीने पुरानी साझेदारी के अंत का संकेत देते हुए कहा कि यह पार्टी किसी भी ऐसी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी जो भगवा या सफेद रंग की टोपी पहनती है.

ऐसे में आम आदमी पार्टी जो गुजरात में सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी दल कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरने की तैयारी कर रही है, उसे गुजरात का चुनाव अकेले ही लड़ना पड़ सकता है. क्योंकि बीटीपी द्वारा अरविंद केजरीवाल की पार्टी के साथ किसी भी तरह के गठबंधन को रद्द करने से ‘आप’ को गंभीर झटका लगने की संभावना है.

बीटीपी के संस्थापक छोटूभाई वसावा ने MBB स बात करते हुए कहा, “इस देश में स्थिति बहुत खराब है और हम किसी भी टोपीवाले के साथ संबंध नहीं रखना चाहते हैं, चाहे वह भगवा टोपी पहनने वाले हों या झाड़ू के प्रतीक के साथ सफेद टोपी पहनने वाले हों. ये सभी एक जैसे ही हैं. यह देश पगड़ी पहने लोगों का है और आदिवासियों के मुद्दों को सभी दलों ने नजरअंदाज किया है.”

वसावा ने कहा कि उन्हें अपने फैसले के प्रभाव की परवाह नहीं है. वसावा ने कहा, “जो लोग इस देश के प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं, वे मजदूरों और उनके मुद्दों के बारे में बात करने से कतरा रहे हैं. चाहे हम जीतें या हारें, हम इन टोपीवालों के साथ कोई गठबंधन नहीं करेंगे.”

1 मई को अरविंद केजरीवाल, छोटू वसावा और उनके बेटे महेश वसावा ने भरूच के चंदेरिया गांव में संयुक्त रूप से “आदिवासी संकल्प महासम्मेलन” को संबोधित किया था, जहां नेताओं ने चुनाव पूर्व गठबंधन की घोषणा की थी. लेकिन दोनों गठबंधन सहयोगियों के बीच संबंधों में जल्द ही खटास आ गई.

बीटीपी का यह फैसला तब आया है जब ‘आप’ ने दस उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी कर दी है, जिसमें तीन आदिवासी उम्मीदवार भी शामिल हैं- तापी जिले के निजार से अरविंद गामित, साबरकांठा में खेड़ब्रह्मा सीट से बिपिन गमेती और नर्मदा जिले की नंदोद सीट से प्रफुल्ल वसावा के नाम का ऐलान किया गया है.

प्रफुल्ल वसावा एक समय बीटीपी के नेता छोटु भाई वसावा के क़रीब थे. उसके बाद वो कांग्रेस होते हुए आम आदमी पार्टी में पहुँच गए हैं.

छोटु भाई वसावा, िकभी जनता दल (यूनाइटेड) के एक आदिवासी नेता थे. उन्होंने विधान सभा चुनाव से पहले 2017 में बीटीपी की स्थापना की और कांग्रेस के साथ गठबंधन में पांच सीटों में से दो सीटों पर चुनाव लड़ा था.

वासवा ने कहा, “हम अपने दम पर लड़ रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे. 2017 में, कांग्रेस ने केवल हमारे साथ (गठबंधन की) बातचीत की, लेकिन आखिरकार उन्होंने हमारे खिलाफ उम्मीदवार उतारे.”

हालांकि ‘आप’ की तरफ से गठबंधन खत्म करने का कोई मैसेज नहीं मिला है.

छोटा उदयपुर सीट से ‘आप’ के उम्मीदवार अर्जुन राठवा ने कहा कि उनके नाम की घोषणा 10 उम्मीदवारों की पहली सूची में की गई थी. अर्जुन राठवा ने कहा, “हमें गठबंधन खत्म करने के बारे में बीटीपी से ऐसा कोई मैसेज नहीं मिला है. 1 मई की बैठक के बाद, हमने बार-बार छोटूभाई वसावा और उनके बेटे के साथ बैठक की है और हम आदिवासियों के सभी मुद्दों पर एकमत हैं.”

उन्होंने कहा कि यहां तक ​​कि अरविंद केजरीवाल द्वारा घोषित आदिवासी ‘गारंटी’ भी उनके साथ चर्चा के बाद थी. बीटीपी ने अतीत में हमें गुजरात में आदिवासियों के लिए सभी 27 आरक्षित सीटों के लिए संभावित उम्मीदवारों की एक सूची दी थी.

लेकिन जब हमने उनसे अधिक विवरण साझा करने के लिए कहा- जैसे कि वे किस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करेंगे और उम्मीदवार की जीत का कारक, हमें नहीं मिला। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि छोटूभाई ने ऐसा निर्णय लिया है.

वैसे आज बीटीपी नेता की तरफ से आये इस बयान में कोई हैरानी की बात नहीं है. MBB ने इस सिलसिले में एक स्टोरी में बताया था कि BTP और AAP का गठबंधन खटाई में है. दरअसल आदिवासी इलाक़ों में कांग्रेस पार्टी पर दबाव बनाने के लिए बीटीपी ने आम आदमी पार्टी की तरफ़ कदम बढ़ाए थे.

जबकि उसकी कोशिश है कि विधान सभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के साथ उसका गठबंधन हो जाए. छोटु भाई वसावा और उनके विधायक पुत्र ने राज्य सभा चुनाव में कांग्रेस को वोट नहीं दिया था. लेकिन लगता है कि छोटु भाई वसावा के पुराने दोस्त शरद यादव की मध्यस्थता से कांग्रेस एक बार फिर बीटीपी का साथ देने को तैयार हो गई है.  

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