राहुल गांधी के मिस इंडिया पर दिए बयान पर विवाद शुरू हो गया है. राहुल गांधी ने 24 अगस्त को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में ‘संविधान का सम्मान और उसकी रक्षा’ कार्यक्रम में कहा था कि मैंने मिस इंडिया की लिस्ट चेक की. इसमें कोई दलित, आदिवासी या OBC महिला नहीं थी.
राहुल के इसी बयान पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने रविवार को पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी मिस इंडिया में भी आरक्षण चाहते हैं. बाल बुद्धि मनोरंजन के लिए अच्छी हो सकती है, लेकिन राहुल अपनी विभाजनकारी बातों से पिछड़े समुदायों का मजाक न उड़ाएं. मिस इंडिया, ओलिंपिक के लिए एथलीट्स या फिल्मों के एक्टर्स को सरकार नहीं चुनती है.
वहीं केंद्रीय मंत्री ने राहुल गांधी पर जातीय जनगणना के संबंध में देश में विभाजन पैदा करने का भी आरोप लगाया.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि राहुल गांधी हमारे देश को बांट नहीं सकते. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट को आईएएस, आईपीएस, आईएफएस सभी बड़ी सेवाओं में भर्ती में रिजर्वेशन में बदलाव करने की इजाजत नहीं दी जाएगी. लेकिन उन्हें पहला आदिवासी राष्ट्रपति, ओबीसी प्रधानमंत्री, रिकॉर्ड संख्या में एससी-एसटी कैबिनेट मंत्री नहीं दिख रहे हैं.
राहुल गांधी ने क्या कहा था?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को जाति जनगणना की मांग दोहराते हुए दावा किया कि मिस इंडिया विजेताओं की सूची में दलित, आदिवासी या ओबीसी समुदाय की कोई महिला नहीं है.
राहुल गांधी के मुताबिक 90 प्रतिशत लोग मुख्यधारा का हिस्सा नहीं हैं. राहुल गांधी ने दावा किया कि मीडिया उद्योग में टॉप एंकर इन समुदायों से नहीं हैं.
“मैंने मिस इंडिया की सूची देखी है, जिसमें कोई दलित, आदिवासी या ओबीसी महिला नहीं थी. कुछ लोग क्रिकेट या बॉलीवुड के बारे में बात करेंगे. कोई मोची या प्लंबर को नहीं दिखाएगा. मीडिया में शीर्ष एंकर भी 90 प्रतिशत से नहीं हैं…हम जानना चाहते हैं कि संस्थानों, कॉरपोरेट्स, बॉलीवुड, मिस इंडिया में कितने लोग 90 प्रतिशत से हैं. मैं केवल इतना कह रहा हूं कि 90 प्रतिशत में ‘भागीदारी’ नहीं थी और इसकी जांच होनी चाहिए.”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस नेता ने सवाल किया, “वे कहेंगे कि मोदीजी ने किसी को गले लगाया और हम महाशक्ति बन गए. जब 90 प्रतिशत लोगों की कोई भागीदारी नहीं है तो हम महाशक्ति कैसे बन गए?”
गांधी ने देशव्यापी जाति जनगणना पर जोर देते हुए कहा कि यह “किसी राजनीतिक कारण” से नहीं बल्कि “भारत के 90 प्रतिशत गरीबों को मुख्यधारा में शामिल करने” के लिए है.
उन्होंने कहा, “मैं राजनीतिक कारणों से जाति जनगणना नहीं कर रहा हूं… मेरे लिए, यह भारत के 90 प्रतिशत गरीब किसानों को इस देश (मुख्यधारा) में शामिल करने के बारे में है. यह मेरा मिशन है, भविष्य में, भले ही इससे राजनीतिक नुकसान हो, मैं इसे करूंगा.”
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान देश भर में सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना कराने का वादा किया था. गांधी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण पर लगाई गई 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने का अपना संकल्प भी दोहराया.
राहुल ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जितनी जिसकी आबादी है उसके हिसाब से पॉलिसी बनाई जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान की जो सच्चाई है, जो हकीकत है, जिसकी जितनी आबादी है उसके हिसाब से पॉलिसी बनाई जानी चाहिए. अगर लोगों की आबादी के हिसाब से नीतियां नहीं बनाई जाती हैं तो जरूरतमंदों को इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा और पॉलिसी बनाने का कोई मतलब नहीं है.
राहुल ने आगे कहा कि मेरा लक्ष्य संविधान को बचाना है. पहले राजा महाराजा के समय, जो मूड में आता था, कर देते थे. मोदी जी भी वही राजा महाराजा शहंशाह वाला मॉडल चलाना चाह रहे थे. लेकिन मैंने उन्हें संविधान माथे पर लगाने के लिए मजबूर कर दिया. अगर कोई सोचे कि जातीय जनगणना को रोका जा सकता है तो मैं बता रहा हूं वो सपना देख रहा है. ना जातीय जनगणना रुकेगी, ना सोशल सर्वे रुकेगा, ना इंस्टीट्यूशनल सर्वे रुकेगा. सरकार को ये मान लेना चाहिए.
कांग्रेस नेता ने कहा कि अधिकांश आबादी को केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. संविधान यह कहता है कि सभी नागरिक एक समान है और सभी को बराबर अधिकार मिलना चाहिए. जाति जनगणना संविधान को मजबूत करने का काम है. इसको दस प्रतिशत ने नहीं बनाया है. इसको सौ प्रतिशत ने बनाया है. इसकी रक्षा आप लोग करते हो.