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गृह मंत्रालय: असम के आदिवासी इलाक़ों में नहीं लागू होगी पंचायत प्रणाली

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि फ़िलहाल संविधान की छठी अनुसूचि के तहत असम के अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत प्रणाली को लागू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है.

संविधान की छठी अनुसूची आदिवासी आबादी की रक्षा करती है और स्वायत्त विकास परिषदों के माध्यम से इन समुदायों को स्वायत्तता प्रदान करती है. यह परिषद भूमि, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि और अन्य मसलों पर कानूनों को लागू कर सकते हैं.

फ़िलहाल 10 स्वायत्त परिषद असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में मौजूद हैं. इनमें असम के नॉर्थ कचर हिल्स, कार्बी आंगलोंग और बोडोलैंड टेरिटोरियल एरिया, मेघालय में खासी हिल्स, जैंतिया हिल्स और गारो हिल्स, त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्र, और मिज़ोरम के चकमा, मारा और लाइ ज़िले आते हैं.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि असम की छठी अनुसूची क्षेत्रों में कोई पंचायत प्रणाली नहीं है, और फ़िलहाल इसे वहां लागू करने का कोई प्रस्ताव भी नहीं है.

23 जनवरी, 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वायत्त परिषदों की वित्तीय और कार्यकारी शक्तियों को बढ़ाने के लिए संशोधनों को मंज़ूरी दी थी. संविधान (125वां संशोधन) विधेयक, 2019 को 6 फरवरी, 2019 को राज्य सभा में पेश किया गया. इसके तहत राज्य चुनाव आयोग स्वायत्त परिषदों, ग्रामों और नगरपालिका परिषदों के लिए चुनाव करवाएगा.

विधेयक को उच्च सदन में इसलिए पेश किया गया ताकि 2019 के आम चुनावों से पहले सदन की कार्रवाई स्थगित होने के बाद भी कानून सक्रिय रहे. अगर यह विधेयक लोकसभा में पेश किया गया होता, तो निचले सदन के भंग होने की साथ ही यह ख़त्म हो जाता.

लोकसभा में पूछे गए एक के जवाब में रेड्डी ने यह भी बताया कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इन क्षेत्रों में चलाई जाने वाली योजनाओं की कोई सूची गृह मंत्रालय के पास नहीं है.

बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल के लिए 1,500 करोड़ रुपए के एक पैकेज को मंज़ूरी दी गई है.

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