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OBC नेताओं को धनगर समुदाय के लिए ST कोट पर ध्यान देना चाहिए: जरांगे

मराठा आरक्षण समर्थक कार्यकर्ता मनोज जरांगे-पाटिल (Manoj Jarange-Patil) ने सोमवार (17 जून) को कहा कि ओबीसी नेताओं को मराठा आरक्षण की मांग की आलोचना करने के बजाय धनगर समुदाय (Dhangar community) के लिए अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) श्रेणी के आरक्षण को सुरक्षित करने को प्राथमिकता देनी चाहिए.

जरांगे ने कहा कि ओबीसी नेता “उनके दुश्मन नहीं हैं” और आश्वासन दिया कि मराठा एसटी श्रेणी के तहत धनगर समुदाय के आरक्षण का समर्थन करेंगे.

उन्होंने कहा, “ओबीसी नेता हमारे दुश्मन नहीं हैं. मैंने उनके खिलाफ कुछ नहीं कहा है. मराठा कोटे की आलोचना और बात करने के बजाय उन्हें अपनी ऊर्जा एसटी श्रेणी के तहत धनगर समुदाय के लिए आरक्षण प्राप्त करने पर खर्च करनी चाहिए. मराठा समुदाय भी उनके साथ मजबूती से खड़ा रहेगा.”

जरांगे ने मराठा आरक्षण को लेकर अपना अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करने के छह दिन बाद 13 जून को स्थगित कर दिया था और समुदाय की मांगों को स्वीकार करने के लिए महाराष्ट्र सरकार के लिए एक महीने की समय सीमा तय की थी.

जिसमें कुनबी को मराठा समुदाय के सदस्यों के ‘सोज सोयारे’ के रूप में मान्यता देने वाली मसौदा अधिसूचना को लागू करना और कुनबी को मराठा के रूप में पहचानने के लिए एक कानून बनाना शामिल है.

ओबीसी श्रेणी के तहत मराठा आरक्षण के लिए दबाव के बीच जालना में अन्य पिछड़ा वर्ग के दो कार्यकर्ता यह आश्वासन मांगते हुए अनशन कर रहे हैं कि उनका कोटा अप्रभावित रहेगा.

17 जून को राज्य मंत्री अतुल सावे, राज्यसभा सदस्य डॉ. भागवत कराड और शिवसेना के निर्वाचित सांसद संदीपन भूमरे के नेतृत्व में एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने अनशनकारी कार्यकर्ताओं, लक्ष्मण हेके और नवनाथ वाघमारे से मुलाकात की और उनसे अपना अनशन समाप्त करने का आग्रह किया लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया.

प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया कि वे मराठा आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इसका ओबीसी कोटा पर असर नहीं पड़ना चाहिए.

लक्ष्मण हेके महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सदस्य हैं और वाघमारे ओबीसी के कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था समता परिषद, जालना के अध्यक्ष हैं.

हेके ने कहा, “जब तक सरकार लिखित आश्वासन नहीं देती, हम अनशन समाप्त नहीं करेंगे. सरकार ओबीसी कोटा मुद्दे की उपेक्षा कर रही है. हम मराठों के लिए आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं लेकिन उसे ओबीसी कोटा में खलल नहीं डालना चाहिए.”

16 जून को पूर्व भाजपा विधायक और ओबीसी नेता प्रकाश शेंडगे ने हेके से मुलाकात की और उन्हें समर्थन देते हुए ‘सेज सोयारे’ पर मसौदा अधिसूचना वापस लेने की मांग की.

उन्होंने कहा, “सरकार ने मराठों को 10 प्रतिशत कोटा दिया है और अब जरांगे ‘सेज सोयारे’ (अधिसूचना) के तहत कुनबी प्रमाण पत्र मांग रहे हैं जो हमें स्वीकार्य नहीं है.”

क्या है धनगर समुदाय की मांग

धनगर समुदाय, जो पारंपरिक खानाबदोश चरवाहे हैं. उनको खानाबदोश जनजाति (सी) श्रेणी के तहत शिक्षा और नौकरियों में 3.5 प्रतिशत आरक्षण मिलता है. हालांकि, उनकी मांग है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति के तहत रखा जाए, जिसे 7 प्रतिशत आरक्षण मिलता है.

धनगर राज्य के पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा क्षेत्रों से आते हैं और राज्य की कुल 13 करोड़ आबादी में उनकी हिस्सेदारी लगभग 9.5 से 10 प्रतिशत है.

धनगर नेताओं का दावा है कि ‘धनगर’ और ‘धनगढ़’ एक ही हैं और एक टाइपोग्राफिकल गलती है, जिसके कारण उन्हें महाराष्ट्र में कुछ अन्य राज्यों की तरह एसटी श्रेणी के तहत लाभ नहीं मिल पा रहा है.

इसी साल फरवरी में बॉम्बे हाई कोर्ट ने धनगर समुदाय को एसटी का दर्जा देने की मांग से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया था.

याचिका में दावा किया गया था कि टाइपोग्राफिकल गलती के कारण समुदाय को धनगर की बजाय धनगड़ के रूप में सूचीबद्ध किया गया था इसलिए उन्हें एसटी श्रेणी से बाहर रखा गया.

बेंच ने कहा था कि याचिकाकर्ता इस गलती के दावे को साबित करने विफल रहे हैं. बेंच ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं यह स्थापित नहीं कर सके हैं कि 1950 में धनगड़ समुदाय बॉम्बे प्रोविंस के काल में अस्तित्व में नहीं था. तत्कालीन समय में इस संबंध में राष्ट्रपति ने आदेश जारी किया था.

बेंच ने कहा था कि तब धनगर नाम से जाना जाने वाला समुदाय राष्ट्रपति के आदेश से अनजान था यह साफ नहीं नजर आता है. इस तरह बेंच ने याचिका को मैरिटहीन मानते हुए उस पर विचार करने से इनकार कर दिया.

वहीं याचिका के मुताबिक, राज्य की कुल आबादी में से लगभग 9 प्रतिशत संख्या धनगर समुदाय की है. इसलिए उन्हें एसटी का दर्जा दिया जाना चाहिए क्योंकि अन्य राज्यों में धनगर एसटी की सूची का हिस्सा है.

ऐसे में वर्तनी के गलती के लिए राज्य के धनगर समुदाय के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए.

पिछले कुछ महीनों में धनगर समुदाय की मांग तेज़ हो गई है.

एसटी का दर्जा दिए जाने के अलावा धनगर समुदाय जाति जनगणना कराने और जालना शहर में महान रानी अहिल्याबाई होल्कर के स्मारक के लिए भूखंड आवंटित करने की मांग कर रहा है.

(Photo Credit: ANI)

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