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ओडिशा ने की आठवीं अनुसूची में तीन आदिवासी भाषाओं को जोड़ने की मांग

बीजू जनता दल ने संविधान की 8वीं अनुसूची में चार जनजातीय भाषाओं को शामिल करने की मांग की है. इसके लिए पार्टी राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की ओडिशा यात्रा के दौरान उनसे अनुरोध करेगी.

जिन आदिवासी भाषाओं को आठवीं सूची में जगह दिलवाना चाहते हैं, वो हैं हो, मुंडारी, भुमजी और कोशाली. बीजद के नेताओं का कहना है कि ओडिशा में अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी लगभग 22.85 प्रतिशत है. इनमें 62 आदिवासी समुदाय शामिल हैं, जो ज्यादातर हो और मुंडारी को अपनी मातृभाषा कहते हैं, और इनका इस्तेमाल करते हैं.

ब्रिटिश शासन ख़त्म होने के बाद से ही ओडिशा में भाषाओं को लेकर लड़ाई जारी है. बीजद के अलावा दूसरे राजनीतिक दलों ने भी संविधान की आठवीं अनुसूची में आदिवासी भाषाओं को शामिल करने के लिए केंद्र सरकार से अपील की है.

लेकिन केंद्र सरकार की तरफ़ के इसके लिए कोई पहल नहीं हुई है. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केंद्र सरकार को इस संबंध में दो पत्र लिखे हैं.

संविधान की आठवीं अनुसूची भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषाओं को सूचीबद्ध करती है. जिस समय संविधान लागू किया गया था, उस समय इस सूची में शामिल किए जाने का मतलब था कि वो भाषा राजभाषा आयोग में प्रतिनिधित्व की हकदार थी.

लेकिन अब इसका महत्व और भी बढ़ गया है. अब इस सूची में शामिल भाषाओं के विकास के लिए भारत सरकार उपाय करती है, ताकि ये भाषाएं तेज़ी से समृद्ध हों, और इनका ज्ञान के संचार में इनका उपयोग बढ़े.

इसके अलावा, किसी सार्वजनिक सेवा के लिए होने वाली परीक्षा लिखने के लिए उम्मीदवार इनमें से किसी भी भाषा का इस्तेमाल कर सकते हैं.

फ़िलहाल आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं हैं, जिनमें असमिया, बांगला, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़ा, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मैती (मणिपुरी), मराठी, नेपाली, ओड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगु, और उर्दू शामिल हैं.

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