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ओडिशा सरकार ने कोटिया आदिवासियों को लुभाने की कोशिशें की तेज़

एक तरफ़ जहां आंध्र-ओडिशा बॉर्डर पर बसे विवादित कोटिया गांवों के आदिवासी आंध्र प्रदेश की ओर झुक रहे हैं, ओडिशा सरकार ने उनके लिए योजनाएं लागू कर उनका विश्वास जीतने की कोशिशें तेज़ कर दी हैं.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार, आंध्र प्रदेश और ओडिशा विवादित कोटिया गांवों में कोई स्थायी निर्माण नहीं कर सकते, लेकिन आदिवासियों के कल्याण के लिए योजनाएं लागू कर सकते हैं.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने हाल ही में कोटिया विवाद समेत दूसरे अंतरराज्यीय मुद्दों को सुलझाने के लिए ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ बैठक की थी. इसमें सभी मुद्दों का हल ढूंढने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का फ़ैसला लिया गया.

कोटिया आदिवासियों ने आंध्र प्रदेश में शामिल होने में रुचि व्यक्त करते हुए एक प्रस्ताव अपनाया था, और इसकी एक प्रति विजयनगरम कलेक्टर ए सूर्यकुमारी को सौंपी भी थी. उन्होंने ओडिशा के अधिकारियों पर आदिवासियों को डराने-धमकाने का आरोप भी लगाया था, और आंध्र प्रदेश प्रशासन से सुरक्षा मांगी थी.

कोटिया आदिवासी विजयनगरम कलेक्टर को प्रस्ताव सौंपते हुए

आदिवासियों को चावल की होम डिलिवरी

कोटिया गांवों के आदिवासियों को आंध्र प्रदेश सरकार की अम्मा वोडी, आरोग्यश्री, रायतू भरोसा, पेदलंदरिकी इल्लू और दूसरी कल्याणकारी योजनाओं का फ़ायदा मिल रहा है.

आंध्र प्रदेश की तरफ़ कोटिया आदिवासियों के बढ़ते झुकाव को देखते हुए, ओडिशा के अधिकारियों ने उनका भरोसा जीतने के लिए एपी द्वारा लागू की गई योजनाओं की तर्ज़ पर ही अपने राज्य की कई योजनाओं को लागू करना शुरू कर दिया है. इस पहल के तहत, चावल और दूसरी ज़रूरी चीज़ें आदिवासियों के दरवाज़े तक पहुंचाई जा रही हैं.

आंध्र प्रदेश के आरोग्यश्री के समान बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना के तहत आदिवासियों को स्मार्ट स्वास्थ्य कार्ड बांटे जा रहे हैं. पट्टुचेन्नू, पगुलुचेन्नुरु और गंजाईबाधरा ग्राम पंचायतों के कई गांवों में ज़रूरी सामान की डोरस्टेप डिलिवरी और स्वास्थ्य कार्डों के वितरण का काम शुरू हो चुका है.

पगुलुचेन्नुरु के निवासी चोडापल्ली बिशु ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हम एपी सरकार द्वारा लागू की जा रही कल्याणकारी योजनाओं का फ़ायदा उठा रहे हैं. हम ओडिशा सरकार द्वारा आपूर्ति की जा रहे ज़रूरी सामान को लेने के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन राशन हमारे दरवाजे पर पहुंचाया जा रहा है. हम ओडिशा सरकार के बहकावे में नहीं आएंगे, और आंध्र प्रदेश का हिस्सा बनने के अपने फ़ैसले को नहीं बदलेंगे.”

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